Monday 20 June 2022

पिता आकाश की छाया : पण्डित ज्योतिर्माली

पिता जैसा संसार मे कोई नहीं हो सकता पिता की छाया जिसके सिर पर हो वह परम भाग्य शाली व्यक्ति होता है मैं पिता के संजोए संस्कार से ओत प्रोत हूँ। तभी आज तक निज की सेवा की चिंता न करके देश और समाज की सेवा करते हुए सिटिज़न शिप की श्रेणी में पहुंच गया हूँ।
जनसंघ से बीजेपी तक की सफर तय करके भी आज तक किसी निजी दल का सिम्बल न पा सका , किसी खास नेता का खास न बन पाया क्योंकि जन मानस की सेवा का लक्ष्य प्रथम रखता रहा।
दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से एक दो वर्ष नही अपितु लगभग 45 वर्ष जन समुदाय की सेवा करता हुआ व्यतीत कर के किसी भी दल का मोहताज नही हूँ।
यह मेरे पिता की विरासती देन का परिणाम है कर्म करो फल की इच्छा मत करो।
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥"
पिताजी का संदेश और निर्देश को हमने भगवान का आदेश समझकर जन सेवा विश्वमित्र,जनसत्ता,पत्रिका, सन्मार्ग, प्रभात खबर, सहारा,सबरंग और विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अपना समय खोता रहा। लेकिन, आज मैं खुश हूं कि अनजाने में या जाने में मैं भी देश की सेवा का एक सदस्य रहा हूँ।
पिता से बढ़कर दुनिया मे कोई भी आप का हितैसी नही बन सकता है चाहे वह जितना अधिक निकटतम प्रेमी ही क्यों न हो । जै भारत ,जै गुरुवर, महादेव ।
पंडित ज्योतिर्माली
कोलकाता