Monday, 28 August 2023

मन्दिर में क्यों जाते हैं लोग

मन्दिर में क्यों जाते हैं लोग 
        एक बार ट्रेन में  सफ़र कर  रहे पंडित  मधुसूदन मिश्र जी से किसी ने पूछा - आप कहाँ जा  रहे  हैँ  उत्तर  था वाराणसी l कोई  खास  प्रयोजन  होगा ? पुनश्च  उत्तर  था- काशी  पंचकोश यात्रा करने हेतु l
आप  लोग  ही कह्ते - फिरते  हैं कि  सर्वत्र  हर कण कण मे भगवान है तो फ़िर  मन्दिर  मन्दिर   क्यूँ जाते हैं ?
बड़े  ही  सहज  भाव से पंडित जी  ने उत्तर  दिया

"हवा तो सर्वत्र  है गर्म और  ठंढ़ा l
बाहर खूब  गर्म हवा  चलती है  परन्तु आनंद और चैन किसी छाँव मे बैठ कर  ही  क्यों मिलता है" मन्दिर- गुरुद्वारा  में ही पवित्र  शाकुन क्यों  प्राप्त होता है ?  
प्रश्न कर्ता  निरुत्तर  हो  कर  चुप  हो  गया
मधुसूदन मिश्र 
ज्योतिर्माली 
www.panditjyotirmalee.com

सच को जानना चाहिए लेकिन एक मर्यादित घेरे के भीतर ईश्वर की सरंचना को लांघना अमर्यादित है उनके विवेक से अपने विवेक की तुलना करना माने उनको छोटा सिद्ध करना वो सर्व शक्तिमान है और रहेगा मनुष्य एक खोजी दिमाग का प्राणी हैधरती पर रह कर वो ब्रह्मांड को खोज निकाला है चांद सूरज जैसे अनेक खगोल की जानकारियां जुटाने में सृष्टि काल से अब तक लगा हुआ है हमारे ऋषि मुनियों की खोज का ही प्रतिफल है कि चांद पर पहुचने में सफल हो गए हैँ l लेकिन सृष्टि की दीवारें आकाशीय पिंडों के सहारे झूल रहीं हैँ जिनकी सुरक्षा हम वैज्ञानिकों को करनी चाहिए अन्यथा भविष्य में पहाड़ो की तरह ये सरकते सरकते अंधकार में विलीन न हो जाय जैसे उत्तरांचल में बादल का फटना और भारी तबाही का होना इसलिए प्रकृति को समझना ठीक है लेकिन नष्ट होने से बचाना भी होगा l मेरा पृथ्वी लोक के विशिष्ट जनों से अनुरोध और सुझाव है कि सृष्टि के साथ छेड़छाड़ न हो बस lwww.panditjyotirmalee.com

सच को जानना चाहिए लेकिन एक मर्यादित घेरे के भीतर ईश्वर की सरंचना को लांघना अमर्यादित है उनके विवेक से अपने विवेक की तुलना करना माने उनको छोटा सिद्ध करना वो सर्व शक्तिमान है और रहेगा मनुष्य एक खोजी दिमाग का प्राणी हैधरती पर रह कर वो ब्रह्मांड को खोज निकाला है चांद सूरज जैसे अनेक खगोल की जानकारियां जुटाने में सृष्टि काल से अब तक लगा हुआ है हमारे ऋषि मुनियों की खोज का ही प्रतिफल है कि चांद पर पहुचने में सफल हो गए हैँ l लेकिन सृष्टि की दीवारें आकाशीय पिंडों के सहारे झूल रहीं हैँ जिनकी सुरक्षा हम वैज्ञानिकों को करनी चाहिए अन्यथा भविष्य में पहाड़ो की तरह ये सरकते सरकते अंधकार में विलीन न हो जाय जैसे उत्तरांचल में बादल का फटना और भारी तबाही का होना इसलिए प्रकृति को समझना ठीक है लेकिन नष्ट होने से बचाना भी होगा l मेरा पृथ्वी लोक के विशिष्ट जनों से अनुरोध और सुझाव है कि सृष्टि के साथ छेड़छाड़ न हो बस lwww.panditjyotirmalee.com