विश्व व्यापी कुम्भ मेला 2025 -ज्योतिषाचार्य ज्योतिर्माली
महाकुम्भ उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज में गंगा यमुना सरस्वती संगम पर मेला भारत सरकार द्वारा आयोजित हुआ जिसमें देश विदेशों से हिन्दू गैर हिन्दुओं ने अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुए पुण्य लाभ की लालसा से दिन रात संगम में स्नान किया जहां दान पुण्य करके अध्यात्मिक मानसिक शांति लाभ पाए. सरकारी व्यवस्था होने से अच्छी-खासी भीड़ लगभग 40-50 करोडों की भीड़ ने हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार कुम्भ मेला को सफ़ल बनाने में अच्छा सहयोग किया जिसकी सराहना विश्व स्तर पर विदेशियों में फैले मीडिया द्वारा किया गया.
हिन्दू विरोधी धर्मों के मानने वालों ने भी दिव्य स्नान में सम्मलित हो कर भारत की सनातनी परम्पराओं का स्वागत किया. यही नहीं, कुम्भ मेले में असंख्य साधु संन्यासियों का आशीर्वाद एवं उनके भंडारों से प्रसाद को पाकर अपने को धन्य माना एवं बड़ी श्रद्धा से जमीन पर बैठ कर विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को सराहते उसे ग्रहण किये.
पाकिस्तान, चीन, अमेरिका, रूस, थाइलैंड, जापान, टर्की, मलेशिया, आयरलैंड कनाडा, पेरिस, लंदन, इटली जैसे अनेक देशों से धर्मिक प्रवृतियों
वाले अतिथियों का आगमन हुआ जिसका स्वागत हमारे धर्मा आचार्यों ,गुरूओं और सरकारी अधिकारियों ने हर्षोल्लास और उत्साहपूर्वक करके उनका सम्मान बढ़ाया, जो विश्व स्तर से सदैव स्मरणीय रहेगा
उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री आदित्य नाथ योगी की प्रशंसा सर्वत्र होती रहीं उनकी हर एक व्यवस्था को आचार्यों गुरूजनों अखाड़ा परिषदों के नागा साधुओं और शंकराचार्य से लेकर देश विदेश के आये आगंतुकों ने किया जो भारत देश के सभी समुदाय के लिए एक अद्भूत उत्कर्ष उदाहरण बन चुका है.
भारत के प्रशासनिक सेवा धारकों ने भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी नाथ के आदेशों का पालन करके कुम्भ मेला उत्सव को सफल बनाने में भारी सहयोग दिया जो विश्व में भारतीय सनातनी उत्सव का नाम आने वाले लोगों के लिए वर्ष वर्षांत तक यादगारी बनेगा.
कुम्भ मेला में अनेक प्रकार की सुख सुविधाओं को ध्यानाकर्षक व्यव्स्था से भारतीय जनता जितनी खुश दिखी उससे कहीँ अधिक खुश दिखे विदेशी धार्मिक पर्यटक.. जिनके लिए भारतीय सरकार ने अस्थाई कुम्भ मेले में अतिथियों के ठहरने - विश्राम करने खाने - पीने की बेजोड़ प्रबंध से विदेशी धार्मिक पर्यटक ग़दग़द थे. भारतीय वृद्ध से वृद्ध पुरुषों महिलाओं से लेकर नवजात शिशुओं को गोद में लेकर महिलाओं ने भी भविष्य में 144 वर्षों बाद आनेवाला कुम्भ की सोच से भरी ठंड की परवाह न करते हुए प्रयागराज में संगम में डुबकी लगाने से अपने को रोक न सकीं धन्य है. भारत देश मेरा जहां आस्था को भगवान के रूप मे पूजा और आराधना की जाती है.
साधु संतो का एक साथ समागम होना उनके तपस्या का सहज आशीष मिलने की प्रबल आकांक्षा से महाकुंभ का दर्शन करने के लिए भारी संख्या मे भीड़ को संजोए रखने में भारतीय सरकारी व्यवस्था को हार्दिक अभिनंदन है. आपसी
मेल से मेला का बोध एक लम्बे युग की देन को पुनः संचालित करने मे नाना प्रकार की सुविधाओं असुविधाओं से गुजरना होता है.
साधारण तौर पर किसी सामुहिक आयोजन का प्रबंध जैसे शादी विवाह या और कोई अनुष्ठानों में एक एक चीज़ पर दृष्टि रखनी पड़ती फिर भी कोई त्रुटि बाद मे समझ आती है इत्यादि इत्यादि ll
प्रयाग राज में आगंतुकों की पूरी व्यवस्थाओं पर योगी जी की पैनी दृष्टि होने के बावजूद मौनी अमावस्या के दिन भर कुम्भ मेला का संचलन सुचारू रूप से चल रहा था किंतु कुछ असामाजिक तत्वों ने भारत की पुरानी धार्मिक परंपराओं संगम स्नान को अचल करने की योजनाए लेकर स्नान करने आए हिन्दू धर्मावलम्बियों के साथ अनहोनी घटनाओ को रात मे 2 बजे से ढाई बजे के बीच अंजाम देकर अपने देश की मर्यादाओं के साथ विश्वासघात किया. जिसका परिणाम असंख्य धार्मिक स्त्री पुरुष काल कवलित हो गये.
यह एक अत्यंत दुःखद घटना जो भारत सहित विश्व स्तर तक निंदनीय कही जाएगी.
राजनैतिक लाभ के लिए आम जनता को शिकार बनाने की पुरानी प्रथा न जाने कितने वर्षो तक दोहरायी जाएगी.
कुम्भ मेला में स्नान करने वालों के ऊपर जिस दल की ऐसी गंदी सोच रही होगी उसके दल के लोग ईश्वरी प्रकोप से अवश्य दण्डित होंगे. ऐसी हमारी विचार धारा है. आगे गंगा और यमुना माई जाने
एक बात समझ मे नहीं आई ऐसे कुकृत्य करने वाले नेताओं का साथ कुछ धर्माचार्य और विशिष्ट विद्वानों ने खुलकर समर्थन किया जिससे, उनकी जग हसायी भी हुई. जो उचित नहीं कहा जाएगा .
कुम्भ मेला में धार्मिक आयोजनों में घुसपैठिए घुस कर जनता की लाचारी का भरपूर लाभ लेने में पिछे नहीं रहे. बाईक, नाव और ठेले वालों की भरमार थी. सबसे अधिक कीमत लेने वाले नाविक और बाईक वालों ने कुम्भ मेला की व्यवस्था में बदनामी का कारण बने आम जनता के विश्वाश का हनन बनते रहे.
देश की यातायात रलवे व्यवस्था बस की दशा निंदनीय कहीं गयी. ट्रेन में कन्फर्म टिकट के बावजूद यात्री प्लेटफार्म पर बिलखते रहे रोते चिल्लाते रहे. न कोई पुलिस न ही टीटी सबको पब्लिक से डर सता रहा था. ट्रेन में तोड़ फोड़ की घटनायों की भरमार रहीं. फ्लाइट और ट्रेन की कीमतें आसमान छू रही थी. उसके बावजूद संगम की भीड़ कम होने का नाम नहीं ली. बल्कि जनता जैसे तैसे जुगाड़ लगाकर संगम तक पहुंचने का हर सफल असफल प्रयास कर रहीं थी.
संगम स्नान को जनता जनार्दन लम्बे समय तक याद करती रहेगी
जय प्रयाग राज
जय कुम्भ मेला