*श्री राम जन्मोत्सव*
श्रीराम की बात निराली-
एक दिन,
विष्णु रूप धर आए राम माता कौशल्या के महल में
प्रश्न था -क्यों आये हो प्रभु यहाँ पर ?
विष्णु रूप स्वामी बोले-
"कौशल्या का पुत्र बनने आया हूँ "
तब बोली माता -"पुत्र बनने आये हो तो लीला करो गोद मे-
पहले छोटा बनो - फिर रुदन करो
प्रभु हो, ठीक है,पर धरती पर यहां आए हों तो दुनियादारी निभाओ l
जब सब बात समझ मे आई ,तब लीला धारी माता कौशल्या की गोद मे रुदन करने लगे l
पूरे अयोध्या महल में
छा गयी ख़ुशीहाली चारो तरफ मच गया हो हल्ला
कौशल्या माता के आँगन में दौड़ पड़ीं दासी दासियाँ
बिजली की तरह फैल गई ख़बर अयोध्या में ,
जनम हुआ है राजा दशरथ के पुत्र का l
बजने लगे बाजे पूरी अयोध्या में,
खुशियां केवल राजा के घर मे नही
पूरे अयोध्या नगरी में तरह तरह के ढोल बाजे बजने लगे l.
पूरी हुई आशा राजा रानी के
अनाथ से
सनाथ हुई अयोध्या नगरी l
घर घर उत्सव होने लगे l
राजा दशरथ को बोध हुआ -
आये हैं *ब्रह्म लीलाधारी*लीला करने हमारे घर*
सर्वत्र अयोध्या नगरी में बँटने लगे खुशियों के उपहार l
राजघराने में देख खुशियां, देवताओं ने बरसाए भांति भांति के फूल l
चौदहों भुवन के स्वामी भुवनेश्वर ,
बने हैं राजा दशरथ के ललना l
शिव पार्वती भी मोहित हुएअयोध्या मेंआने को l
बार बार वेश धर कर आने लगे बाघम्बर धारीl अयोध्या में बुद्धि वान ज्ञानियों की लग गई होड़.
फिर क्या था देख मौका,
ललना का हाथ देखने पहुँच गए - शिव बाबा
देखा देखी हुई दोनों मन्द मन्द मुस्काने लगे बाबा और शिव - राम
भेद अभेद्य
पूरे विश्व मे फैल गई चर्चा
अयोध्या में जन्मे हैं राम
खबर लगी जब रावण को सहमा ,थर्राया बुदबुदाया
फिर गुणा भाग करने लगा,
अपनी गति को मापने लगा
वह भी था शिव जी का शिष्य और भक्त - जान गया, समझ गया
शिव बाबा क्यों पहुँचे थे
अयोध्या नगरी ..
एक भव्य कोठरी में जा बैठा.
अपनी गति को भाँप गया,
समझ गया ज्योतिषीय गणनाओं से ..
मेरा तरण तारण राम का प्राकट्य हो गया है ..
मन मे धीरे से बोल उठा
"जय श्री राम , जै जानकी माता"
जानकी होंगी राम की अर्धांगिनी
वह दूरगामी परिणाम को भाँप लिया था ..
जानकी जी ही होंगी
मेरी गति की मापदंड
फिर मन मे बुदबुदाया
*जै श्री राम! जै श्री राम !!
राजकुमारी "ज्योतिर्लता"
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