Thursday, 31 December 2020

जनवरी 2021- सरकारी घोषणा: पण्डित ज्योतिर्माली

*जनवरी 2021
     ।।सरकारी घोषणा  ।।            
 *भारत सरकार की ओर से प्रथम जनवरी 2021*को ही सर्बत्र  पाबन्दी का फरमान* *मजबूरन जारी किया गया है*  नए साल का जश्न जो वर्षो से सारी दुनियाँ मनाती रही  है  -अब वह आनंद उत्सव मौज मस्ती  सब पर शख्त पहरा सरकार का लागू हो गया है भारत ही नही पूरे विश्व के सभ्रांत राष्ट्रों शहरों में यह प्रतिबंध
वहां की सरकारों द्वारा लागू किया गया है क्योंकि
*करोना का भय और दहशत   विश्व भर में अभी समाप्त नही हुआ है* इसी लिए  विश्व भर  में-" नए साल जनवरी"  का लुफ्त ठंढा पड़ रहा है  इसके बावजूद विश्व के कुछेक शहरों में नए साल का जश्न  अर्द्ध रात्रि में आतिशबाजी करने से नही चूकेंगे  वे  अपना नया साल मनायेगे ही क्योंकि  नए साल का मनाने का जनून उनको मजबूर करेगा  " 
उनकी देखा देखी दूसरे देश भी जश्न जरूर मनाएंगे । कोरोना कोविड 19 पर
*मेरी भविष्यवाणी पर जिन कुछ लोगो को कुछ अटपटा लग  रहा था अब उन्ही लोगो के मैसेज और फोन आते जा रहे हैं *गुरुजी आपकी भविष्यवाणी सच होती जा रही है*  
अप्रैल - मई  2020 में जब विभिन्न समाचार पत्रों और इंटरव्यू , फेसबुक तथा स्टेटस से  लोगो को कोरोना की जानकारी कराता रहा तब  कुछ लोग बहुत हल्के से लिए थे प्रत्येक ने तब विषमय मुद्रा में कहा था -गुरुजी ! सच , पण्डित! जी आप एक बार फिर से विचार कीजिये न । क्या यह साल घर मे बिना ऑफ़िस गए बिताना पड़ेगा?  हाँ ।
स्वीकारात्मक लहजे में मैंने हाँ कहा था, तब सब को यह विश्वाश ही नही हुआ था  
यह प्रश्न तब मुझसे पूछा गया था जब हमारे देश के हमारे *प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ने रात को 8 बजे यह घोषणा किये की" आप देशवासी अपने आप को खुद को कर्फ्यू की तरह घरों में कैद रहें, घर से अपना काम काज कीजिये दफ्तर, कल -कार खानों, में न जायें, व्यापारियों से अनुरोध करते हुए  कोरोना का व्यापक बुरा असर की आशंका से प्रधान मंत्री जी ने कहा था अपने कर्मचारियों का वेतन न काटिये यदि असुविधा हो तो आधा वेतन ही दीजिये लेकिन किसी कर्मचारियों को काम से न हटाइये " *यह अनुरोध था भारत के प्रधान मंत्री का*।
तब मेरे चिर परिचितो का फोन आने शुरू होगया
मैन तब सबसे यही कहा था 
*चैत्र नवरात्रि से लेकर  श्रावणका त्योहार,दुर्गापूजा ,
दीपावली और अन्य मुख्य पर्व बड़ी कठिनाई से मनाना पड़ेगा यही नही होली तक  कोरोना का भय व्याप्त रहेगा और बाद में आप लोगो ने पाया कैसे एक साल घर मे रहना पड़ा , देखा गया यही सब घटनाये बड़ी दिक्कतों से घटती गईं
अब उसी क्रम में नए वर्ष 2021  का आरम्भ भी हम सब लोग *कोरोना की छत्र छाया में बिताएंगे*  नए साल की धूम धाम आतिशबाजी से दूर रहेंगे जो जीवन की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक भी है जीवन बचा रहेगा तो बार बार नया साल मनाते रहेंगे
*ज्योतिष विद्या से भविष्य की जानकारी होती है* *यह हमारे ऋषिमुनियों की देन है*
*जिसके ज्ञान से आज हम ज्योतिषीगण समाज को एक दिशा देते हैं* ।
समाज की सेवा करना ही ज्योतिष विद्या का मूल मंत्र होता है जो ज्योतिषी इस सिद्धांत से भटके हुए हैं उनके लिए धन ही धर्म है तो
उनकी सेवा कहीं न कहीं  प्रश्न वाचक चिन्ह  के।.-
*पंडित ज्योतिर्माली* www.panditjyotirmalee.com

Friday, 18 December 2020

बंगाल में ममता दीदी की राजनीति किधर?

बंगाल में ममता दीदी की राजनीति किधर?
:मधुसूदन मिश्र, ज्योतिषाचार्य पण्डित ज्योतिर्माली
www.panditjyotirmalee.com
पार्ट - 2 *बंगाल में तीन पार्टी अकेले ममता दीदी*
अब देशके  राज्यो में चुनाव होने वाले हैं सर्वत्र चुनावी माहौल गर्म है  जितने लोग उतने मुँह  -बंगाल में राजनीति की बातकरे  तो यहां पहले कांग्रेस को पटखनी देकर बाम पंथी सरकार 30 से 34 वर्षो तक अखण्ड बंगाल का
शासन करके भारत मे नया कीर्तिमान स्थापित कर सकी  इसमें 22 वर्षो तक केवल बाम दल के सिर मौर बने ज्योतिबसु ने ही बाम पंथी को बंगाल में सम्भालते रहे बाद में बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बाम दल को बचाये रखे 
अंत मे बुद्धदेव बाबू के समय मे ही बंगाल में उनके शासन की जड़े हिलने लगी 
मौका की तलाश में कांग्रेस थी लेकिन आपसी मतभेद के कारण कांग्रेस असफल रही इन्ही दिनों भाजपा भी जोर लगाती रही कि बंगाल में एक अदद कोई भाजपा विधायक बने संजयोग बस एक कमल तपन सिकदर के द्वारा खिल गया तब अटल जी प्रधान मंत्री थे
दीदी भाजपा में सांठ गांठ लगा कर भजपा में घुसी और रेलमंत्री तक का पद हासिल कर ली
कई बार दीदी भाजपा छोड़ती और अटल जी दीदी के कालीघाट के निकट वाले घर तक मनाने एक बार आये थे और अटल जी अपनी पार्टी की शाख बचाने हेतु दीदी की माता जी के पैर तक छुए थे 
जो जो हो दीदी म सिर ऊपर और ऊपर होता गया शान बढ़ता ही गया 
दीदी की पकड़ राजनीति में अब धीरे  धीरे मजबूत होने लगी  उधर बांम दल पर दीदी की नजर थी उधर अपने पुराने खेमे कांग्रेस से आजिज आ चुकी थी दीदी।
उनके सामने तृण मूल की पार्टी आंखों के सामने कौंध रही थी भाजपा में जुटने के पहले से ही कांग्रेस छोड़ कर तृण मूल में आईं और अब तरीन मूल के सहारे अपनी नई पार्टी की  घोषणा कर दी अब तृणमूल दीदी की अपनी नई पार्टी बन चुकि थी भाजपा ,तृणमूल के बीच राजनेतिक जीवन उभर रहा था केंद्र की राजनीति छोड़ कर बंगाल की राजनीतिक जीवन को अधिक प्रश्रय देने लगी  जीवन का मकसद केंद्र से नही बंगाल से पूरा होगा यही सोच कर भविष्य की रण नीति दीदी ने बना डाला और वह सफल भी हुईं प्रथम बार मुख्यमंत्री बनने के दरमियान कई तरह के आरोप प्रत्यारोप भी लगे किन्तु सबके आरोप धरे के धरे रह गए  पुनः विधान सभा बंगाल में निर्वाचित हुई और मुख्यमंत्री बनी  इन्ही दिनों उनके ऊपर  कुछ लांछन भी लगाए गए केंद्र और अन्य दलों के लोग दीदी के असली जाति का भेद मालूम कर लिया  जो उनके जीवन की ब्यक्तिगत मामले थे कई तरह के उजागर भी हुए  अल्प संख्यक जाति को लेकर अनेक बवाल भी दीदी के सामने उठाये गए पता नही इन बातों में कितनी सच्चाई दबी आदि है
बंगाल में जातिगत हिंसा चुनावों में धांधली और किसी एक जाति विशेष को लेकर दीदी पर पक्षपात करते रहने के कारण विपक्षी दलों को दीदी को उन्ही के तर्ज पर बंगाल से उखाड़ फेंकने की कोशिशें चल रही हैं अब कौन दल कितनी कामयाब होगा यह भविष्य के गर्त में तब तक छुपा रहेगा जबतक चुनाव नहो जाता है
कोई कहता है अबकी बार  दीदी को उनकी गलत नीतियों  और जाति भेद कार्यशैली की गन्दी  पद्धति के कारण बंगाल में शिकस्त मिल सकती है लेकिन पण्डित ज्योतिर्माली के आकाशीय ग्रह क्या बयान कर रहे हैं जिनका खुलासा खुद पंडित ज्योतिर्माली ही कर सकते है जैसा कि 2011 और 2014 में स्प्ष्ट भविष्यवाणी की थी कि चाहे पार्टियों के उठापटक और एग्जैक्ट पोल जो कहे ओर जीतेगी ममता दीदी 
परिणाम वही हुआ जो पंडित ज्योतिर्माली ने उद्घघोषित किया था तो अब पिछले वर्षो की भांति प्रतीक्षा कीजिये दीदी के लिए नई भविष्यवाणी का क्या होगा ......

Wednesday, 16 December 2020

2021 : बंगाल में दीदी का त्रिकोणीय संघर्ष

*2021 -बंगाल में दीदी का त्रिकोणीय संघर्ष 
- मधुसूदन मिश्र, पण्डित ज्योतिर्माली
"बंगाल में तीन पार्टी  और अकेले  ममता दीदी"*
"अटल बिहारी के शासन काल "मे कभी संसद की तेज तर्रार कही जाने वाली बंगाल की शेरनी दीदी ममता बनर्जी की पहचान हुआ करती थी वही दीदी कभी रेलमंत्री की शान थी तो कभी बंगाल में कांग्रेस के लिए सिर दर्द तो कभी बाम की सरकार को जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए कसम खाएं थी । *ज्योतिबसु के दलहौसी स्थित विधान सभा  दफ्तर में हिंसक बनी और तब ज्योतिबसु के लिए भारी सिरदर्द बन गईं । उधर  कांग्रेस से अलग हुई फिर एक नई पार्टी *तृणमूल* जो मुकुल राय के हाथों में थी उसको अपने कब्जे में करके सर्वेसरबा मुकुल को बना डाली।
दौर पर दौर बिता समय की प्रतीक्षा करती हुई दीदी अन्तोगत्वा बाम पंथी को बंगाल से ऐसे साफ करने में सफल हुईं जैसे लोमड़ी दुम दबाकर जंगल की ओर भाग जाती है।  दुबारा बाम पंथी बंगाल क्या भारत से उनका पत्ता साफ होने लगा उन का हार्ट अटैक होता गया।  ममता दीदी की तुलना किसी महिला नेता से करने में साउथ की  नृत्यांगना से मुख्य मंत्री बनी जयाललिता से की जाती रही इनके मुकाबले मायावती  की राजनीति फीकी पड़ गई वहीं दीदी बंगाल की सिरमौर बनती चली गईं।कांग्रेस की पार्टी से अनेकों बार निकलती फिर मिलजाती अगर किसी महिला मंत्री ने सोनिया गांधी को शिकस्त  दिया तो वह हैं- बंगाल की एक मात्र "ममता दीदी"*
 समय की  चाल भला कौन पहचानता है।  देश मे जनमानस - सेवा की राजनीति करने वाले लोग  न जाने क्यों किसी काल के गाल में समाते जा रहे हैं भारत की राजनीति केवल स्वार्थपूर्ति के लिए ही ठहर गई है।  कुछ निःस्वार्थ सेवक अंगुलियों पर गिने जा सकते है। कांग्रेस काल मे  "वाद" की शुरुआत हुई जो आगे चल कर जाति वाद  ब्राह्मण वाद क्षत्रिय वाद वैश्य वाद और हरिजन वाद  में बढ़ती गई  इस तरह से असंख्य जाति वाद की फौज विधान सभा और संसद की कुर्सियों तक जा पहुंची।
अम्मा ,बहनजी, ऐंटिनियो और  बाम को  निरस्त करने वाली ममता दीदी नम्बर वन बन गयी।
दीदी की राज नीति की पकड़ पुरुष वर्ग नेताओं से कहीं अधिक आगे हो चुकी है।
कम्पटीशन में जैसे शाहरुख खान अमिताभ बच्चन की जोड़ी वर्षो से सुनी जा रही है। उसी तरह आज की राजनीतिक में सबल और "ममता" शब्द से विपरीत अर्थ में विपक्ष के लोग कोई नया नामकरण भी करने लगे हैं।
जो हो बंगाल की राजनीति के पीछे कांग्रेस और बाम दल तो था ही अब एक नया नाम भी जुट गया है।
"ओबैसी  जो हैदराबाद"से  है जो सम्भवतः दीदी कांग्रेस और bjp के किसी एक दल को मजबूत करने का इरादा अवश्य दर्शाती है।
अब सवाल है कि क्या होगा भविष्य इन तीन पार्टियों का
कौन होगा -बंगाल का नया या फिर पुराना सरदार 


नोट:  इस पर विस्तृत जानकारी के लिये कीजिये प्रतीक्षा पंडित ज्योतिर्माली के द्वारा भविष्यवाणी का कई खण्डों में   सही निष्पक्ष और बेबाक भविष्यवाणी का।।

Friday, 4 December 2020

भाजपा का परचम लहराएगा: पण्डित ज्योतिर्माली

योगी नाथ - "मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश" की वाणी फलेगी
*हैदराबाद का नाम बदलेगा
भाग्यनगर नाम करण* होने का पूरा योग दिखता है ज्योतिष की दृष्टि से यह वर्ष 
 भाजपा के लिए एक शुभ संकेत हैं ग्रह नक्षत्र भी श्री मोदी जी के पक्ष में होने में  संसय की गुंजाइश नही है उधर योगी की वाणी में उनके ग्रह सहायक होंगे *भगवाकरण भाग्यनगर *दोनों ही भाजपा के पक्ष में होंगे ऐसा सम्भव है
दक्षिण भारत मे मोदी जी की लहर और गूंज का बोलबाला होगा वहां के निवासियों को एक नया जीवन दान मिलेगा , काया कल्प होगा। दक्षिण भारत में *कमल और भगवा* दोनों का उदय भाजपा के लिए एक नया जोश और भविष्य की नींव का पत्थर साबित होगा देश मे मोदी की जहाँ सरकारें बनी हैं वहां जन साधारण को विकास नजर आया है यह भी एक बहुत बड़ा कारण है  कारपोरेशन के चुनाव में ओबैसी चित्त होंगे।bjp की शाख बढ़ेगी। पण्डितज्योतिर्माली 
 कोलकाता