बंगाल में ममता दीदी की राजनीति किधर?
:मधुसूदन मिश्र, ज्योतिषाचार्य पण्डित ज्योतिर्माली
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पार्ट - 2 *बंगाल में तीन पार्टी अकेले ममता दीदी*
अब देशके राज्यो में चुनाव होने वाले हैं सर्वत्र चुनावी माहौल गर्म है जितने लोग उतने मुँह -बंगाल में राजनीति की बातकरे तो यहां पहले कांग्रेस को पटखनी देकर बाम पंथी सरकार 30 से 34 वर्षो तक अखण्ड बंगाल का
शासन करके भारत मे नया कीर्तिमान स्थापित कर सकी इसमें 22 वर्षो तक केवल बाम दल के सिर मौर बने ज्योतिबसु ने ही बाम पंथी को बंगाल में सम्भालते रहे बाद में बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बाम दल को बचाये रखे
अंत मे बुद्धदेव बाबू के समय मे ही बंगाल में उनके शासन की जड़े हिलने लगी
मौका की तलाश में कांग्रेस थी लेकिन आपसी मतभेद के कारण कांग्रेस असफल रही इन्ही दिनों भाजपा भी जोर लगाती रही कि बंगाल में एक अदद कोई भाजपा विधायक बने संजयोग बस एक कमल तपन सिकदर के द्वारा खिल गया तब अटल जी प्रधान मंत्री थे
दीदी भाजपा में सांठ गांठ लगा कर भजपा में घुसी और रेलमंत्री तक का पद हासिल कर ली
कई बार दीदी भाजपा छोड़ती और अटल जी दीदी के कालीघाट के निकट वाले घर तक मनाने एक बार आये थे और अटल जी अपनी पार्टी की शाख बचाने हेतु दीदी की माता जी के पैर तक छुए थे
जो जो हो दीदी म सिर ऊपर और ऊपर होता गया शान बढ़ता ही गया
दीदी की पकड़ राजनीति में अब धीरे धीरे मजबूत होने लगी उधर बांम दल पर दीदी की नजर थी उधर अपने पुराने खेमे कांग्रेस से आजिज आ चुकी थी दीदी।
उनके सामने तृण मूल की पार्टी आंखों के सामने कौंध रही थी भाजपा में जुटने के पहले से ही कांग्रेस छोड़ कर तृण मूल में आईं और अब तरीन मूल के सहारे अपनी नई पार्टी की घोषणा कर दी अब तृणमूल दीदी की अपनी नई पार्टी बन चुकि थी भाजपा ,तृणमूल के बीच राजनेतिक जीवन उभर रहा था केंद्र की राजनीति छोड़ कर बंगाल की राजनीतिक जीवन को अधिक प्रश्रय देने लगी जीवन का मकसद केंद्र से नही बंगाल से पूरा होगा यही सोच कर भविष्य की रण नीति दीदी ने बना डाला और वह सफल भी हुईं प्रथम बार मुख्यमंत्री बनने के दरमियान कई तरह के आरोप प्रत्यारोप भी लगे किन्तु सबके आरोप धरे के धरे रह गए पुनः विधान सभा बंगाल में निर्वाचित हुई और मुख्यमंत्री बनी इन्ही दिनों उनके ऊपर कुछ लांछन भी लगाए गए केंद्र और अन्य दलों के लोग दीदी के असली जाति का भेद मालूम कर लिया जो उनके जीवन की ब्यक्तिगत मामले थे कई तरह के उजागर भी हुए अल्प संख्यक जाति को लेकर अनेक बवाल भी दीदी के सामने उठाये गए पता नही इन बातों में कितनी सच्चाई दबी आदि है
बंगाल में जातिगत हिंसा चुनावों में धांधली और किसी एक जाति विशेष को लेकर दीदी पर पक्षपात करते रहने के कारण विपक्षी दलों को दीदी को उन्ही के तर्ज पर बंगाल से उखाड़ फेंकने की कोशिशें चल रही हैं अब कौन दल कितनी कामयाब होगा यह भविष्य के गर्त में तब तक छुपा रहेगा जबतक चुनाव नहो जाता है
कोई कहता है अबकी बार दीदी को उनकी गलत नीतियों और जाति भेद कार्यशैली की गन्दी पद्धति के कारण बंगाल में शिकस्त मिल सकती है लेकिन पण्डित ज्योतिर्माली के आकाशीय ग्रह क्या बयान कर रहे हैं जिनका खुलासा खुद पंडित ज्योतिर्माली ही कर सकते है जैसा कि 2011 और 2014 में स्प्ष्ट भविष्यवाणी की थी कि चाहे पार्टियों के उठापटक और एग्जैक्ट पोल जो कहे ओर जीतेगी ममता दीदी
परिणाम वही हुआ जो पंडित ज्योतिर्माली ने उद्घघोषित किया था तो अब पिछले वर्षो की भांति प्रतीक्षा कीजिये दीदी के लिए नई भविष्यवाणी का क्या होगा ......
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