* * दीदी कैसे बनी मुख्यमंत्री* एक नजर में
*पण्डित ज्योतिर्माली*
बंगाल में राजनीति का पाठ ग्रामीणों में पढ़ाया जाने लगा है आज तक ग्रामीण सीधे साधे भोले भाले शब्दो से नवाजे जा रहे थे जिनको केवल गरीबी और महँगाई की जानकारी के सिवाय कुछ ज्ञात नही हो सका बाम दल और कांग्रेस पार्टी के नारे यही थे "हमे वोट दो हम तुम्हे गरीबी से मुक्त करेगे"
बाम दल के पहले कांग्रेस थी जो सिद्धार्थ शंकर राय मुख्यमंत्री की अगुआई में बंगाल की हालत मध्यम गति पर थी बस बाम पंथी सर्वत्र हड़ताल और धरना के बल पर कांग्रेस को अपदस्त करने की चेष्टा में सक्रिय रहे जिसमे उनको सफलता हाथ लगी जो 34 साल तक बंगाल में शासन करके बंगाल के कारखानों में ताला लगवाकर उत्पादन को सलाम कह कर मजदूरों को दाने दानेको मोहताज़ कर दिया बेचारे मजदूर काम काज के बिना बेरोजगारी के भारी शिकार बनगए थे ऐसे ही अवसर की तलाश में थी ममता दीदी जो राजनीतिक विशेषज्ञ बन चुकी थी आनन फानन में विरोध में कूद गईं बाम दल को धरासाई करने की कूटनीति में अन्तोगत्वा सफल होगई 10 साल में दिदी की शाख मोटी और सशक्त बन तो गई लेकिन जाती वाद की दूरर्गन्ध पूरे बंगाल में फैल गई उसका नतीजा यह हुआ कि बंगाल में हिन्दू मुस्लिम का आपसी जहर घोलने वाली सबकी प्यारी दिदी हिन्दू ही नही कुछ मुस्लिम वर्ग की आंखों की किरकिरी बन चुकी हैं भारत देश का एक हिस्सा है बंगाल जो राष्ट्र के अंतर्गत आता है लेकिन तुर्रा तो देखिए प्रधानमंत्री मोदी गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के लोगो को बंगाल में न आने फरमान जारी कर दिया भारत के मोदी प्रधान मंत्री हैं यह दिदी के गले नही उतर रहा है
बंगाल दीदी का एक क्षत्र राज्य कब बन गया जब कि राज्य तो सेंट्रल के अधीन ही होता है पता नही किस सकूल में दिदी पढ़ चुकी है कि राज्य सेंट्रल से बड़ा होता है
अब देखना है कि दिदी की पढ़ाई क्या रंग दिखती है ऊँट किस तरफ बैठेगा
दिदी की शान रहेगी या मिट्टी में मिल जाएगी
भगवा या तृणमूल कौन झंडा बंगाल में लहराएगा
पंडित ज्योतिर्माली