किसान और सरकार: पण्डित ज्योतिर्माली
*किसानों की कौन सुनेगा* किसान की
क्या है पूरी कहानी। 100 साल वर्षो से किसान अपने हक की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं कहा जाता है। कि 32 साल पहले भी उत्तर प्रदेश के महेंद्र सिंह टिकैत किसान नेता के अगुआई में किसान आंदोलन हुआ था। उनकी मांग थी बिजली पानी के बिल पर छूट मील जाय तब की सरकार उनकी मांग स्वीकार कर ली थी के तब से आज तक किसान आंदोलन के लिए महेंद्र सिंह टिकैत प्रसिद्ध हो गए।
26 नवम्बर 2021 से उनकी अगुआई में मोदी सरकार के विरुद्ध कृषक आंदोलन चला रहे हैं टिकैत जी कांग्रेसी तर्ज़ के नेता है। शायद इसी लिए फैसला शीघ्र नही चाहेंगे उनकी अगुआई में दिल्ली के सभी मुख्य मार्ग का घेराव करवा चुके हैं दिल्ली न कोई आ सकता है न जा सकता है। साग सब्जी जैसी जरूरत बस्तुएँ भी बंद है ट्रको ट्रैक्टरों से टिकैत जी ने घेराव कर रखा है। कहते है- 2024 तक ऐसे ही सरकार के दरवाजे बंद करके* *नाको चने चबवाएँगे **
जो हो यह आंदोलन का रुख ठीक नही लगता है। ऐसे किसी बात का समाधान भला निकलेगा क्या ?
माना सरकार की नीति या उनका बन्दओबस्त किसान नेता को पसंद न हो तो बात चीत से समाधान निकल सकता था लेकिन समाधान की बात तो दूर पहले ही सोच कर धरना पर टिकैत के साथी बैठे हैं कि सरकार की एक नही सुनना
सच ही तो है सरकार बार बार समझौता के लिए आग्रह करती है लेकिन किसान के साथी नेता बहिष्कार कर अनसुना करते आ रहे हैं ।
भारत मे किसान आंदोलन का इतिहास बहुत पुराना है
प्रजातन्त्र में यह हक है कि अपनी बात रखने कहने के लिए स्वतंत्र है चाहे वह किसी भी वर्ग का हो
सरकार किसान बिल जो संसद में पास जरा चुकी है वह बिल वापस ले
मतलब जब कि भी वर्ग विशेष को उसके मन लायक कानून न हो तो वह आंदोलन कराकर संसद की मर्यादा का अपमान कर ले सरकार न हुई खेत की मूली गाजर जब चाहो रख ली जब चाहो उखाड़ फेको फिर सरकार और आम जनता में फर्क ही क्या रहा
यह सब विपक्ष का कर कराया ड्रामा ही लगता है
मोदी जी भारत को विश्व मे एक सशक्त देश बनाने में आगे बढ़ रहे हैं और एक ये लोग हैं कि हिन्दुओ की खिलाफत करने में अपनी शान मान रहे हैं देश की चिंता नही है केवल पार्टी की चिंता में देश को आग के हवाले करने चाहते हैं
देश का भला जरूर होगा
जब टिकैत जैसे लोग सुधरेंगे।
इस प्रकार जनवरी में किसान आंदोलन समाप्त होगा।
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