Planet speaks like we speak. Its a unique world of stars. Planet moves from one house to another but create impacts world wide and individually too.Here, we will discuss and talk about what stars are speaking, how it will impact to the nation building and more.
Monday, 28 August 2023
मन्दिर में क्यों जाते हैं लोग
सच को जानना चाहिए लेकिन एक मर्यादित घेरे के भीतर ईश्वर की सरंचना को लांघना अमर्यादित है उनके विवेक से अपने विवेक की तुलना करना माने उनको छोटा सिद्ध करना वो सर्व शक्तिमान है और रहेगा मनुष्य एक खोजी दिमाग का प्राणी हैधरती पर रह कर वो ब्रह्मांड को खोज निकाला है चांद सूरज जैसे अनेक खगोल की जानकारियां जुटाने में सृष्टि काल से अब तक लगा हुआ है हमारे ऋषि मुनियों की खोज का ही प्रतिफल है कि चांद पर पहुचने में सफल हो गए हैँ l लेकिन सृष्टि की दीवारें आकाशीय पिंडों के सहारे झूल रहीं हैँ जिनकी सुरक्षा हम वैज्ञानिकों को करनी चाहिए अन्यथा भविष्य में पहाड़ो की तरह ये सरकते सरकते अंधकार में विलीन न हो जाय जैसे उत्तरांचल में बादल का फटना और भारी तबाही का होना इसलिए प्रकृति को समझना ठीक है लेकिन नष्ट होने से बचाना भी होगा l मेरा पृथ्वी लोक के विशिष्ट जनों से अनुरोध और सुझाव है कि सृष्टि के साथ छेड़छाड़ न हो बस lwww.panditjyotirmalee.com
सच को जानना चाहिए लेकिन एक मर्यादित घेरे के भीतर ईश्वर की सरंचना को लांघना अमर्यादित है उनके विवेक से अपने विवेक की तुलना करना माने उनको छोटा सिद्ध करना वो सर्व शक्तिमान है और रहेगा मनुष्य एक खोजी दिमाग का प्राणी हैधरती पर रह कर वो ब्रह्मांड को खोज निकाला है चांद सूरज जैसे अनेक खगोल की जानकारियां जुटाने में सृष्टि काल से अब तक लगा हुआ है हमारे ऋषि मुनियों की खोज का ही प्रतिफल है कि चांद पर पहुचने में सफल हो गए हैँ l लेकिन सृष्टि की दीवारें आकाशीय पिंडों के सहारे झूल रहीं हैँ जिनकी सुरक्षा हम वैज्ञानिकों को करनी चाहिए अन्यथा भविष्य में पहाड़ो की तरह ये सरकते सरकते अंधकार में विलीन न हो जाय जैसे उत्तरांचल में बादल का फटना और भारी तबाही का होना इसलिए प्रकृति को समझना ठीक है लेकिन नष्ट होने से बचाना भी होगा l मेरा पृथ्वी लोक के विशिष्ट जनों से अनुरोध और सुझाव है कि सृष्टि के साथ छेड़छाड़ न हो बस lwww.panditjyotirmalee.com
Sunday, 21 May 2023
*श्री श्री ₹2000*( प्राकट्य काल: 08/11/2016अस्वस्थ काल: 8pm-19/05/2023 7pm)दुखी हृदय से सूचित किया जा रहा है कि हमारा प्रिय ₹2000 काचलायमान नोट अपने बाल्यकाल (6 वर्ष 6 महीने 10 दिन 23 घंटे) में ही भारतीय बाजार छोड़ कर जाने वाला है इस नटखट ने जन्म से ही सबका मन मोह लिया था। ये सबको बहुत प्रिय था विदाई काल 23/05/23 से 29/9/23 तक चलेगी। 30/9/23= वार शनिवार सांय 4 बजे आपके निकटतम बैंक में होना निश्चित हुआ है।😝😝www.panditjyotirmalee.com
Thursday, 11 May 2023
कर्णाटक का चुनावी गणित
Friday, 28 April 2023
गुरु-अन्तर्यामी तत्व: पंडित ज्योतिर्माली
Thursday, 30 March 2023
राम मनोहारी, राम नवमी
*श्री राम जन्मोत्सव*
श्रीराम की बात निराली-
एक दिन,
विष्णु रूप धर आए राम माता कौशल्या के महल में
प्रश्न था -क्यों आये हो प्रभु यहाँ पर ?
विष्णु रूप स्वामी बोले-
"कौशल्या का पुत्र बनने आया हूँ "
तब बोली माता -"पुत्र बनने आये हो तो लीला करो गोद मे-
पहले छोटा बनो - फिर रुदन करो
प्रभु हो, ठीक है,पर धरती पर यहां आए हों तो दुनियादारी निभाओ l
जब सब बात समझ मे आई ,तब लीला धारी माता कौशल्या की गोद मे रुदन करने लगे l
पूरे अयोध्या महल में
छा गयी ख़ुशीहाली चारो तरफ मच गया हो हल्ला
कौशल्या माता के आँगन में दौड़ पड़ीं दासी दासियाँ
बिजली की तरह फैल गई ख़बर अयोध्या में ,
जनम हुआ है राजा दशरथ के पुत्र का l
बजने लगे बाजे पूरी अयोध्या में,
खुशियां केवल राजा के घर मे नही
पूरे अयोध्या नगरी में तरह तरह के ढोल बाजे बजने लगे l.
पूरी हुई आशा राजा रानी के
अनाथ से
सनाथ हुई अयोध्या नगरी l
घर घर उत्सव होने लगे l
राजा दशरथ को बोध हुआ -
आये हैं *ब्रह्म लीलाधारी*लीला करने हमारे घर*
सर्वत्र अयोध्या नगरी में बँटने लगे खुशियों के उपहार l
राजघराने में देख खुशियां, देवताओं ने बरसाए भांति भांति के फूल l
चौदहों भुवन के स्वामी भुवनेश्वर ,
बने हैं राजा दशरथ के ललना l
शिव पार्वती भी मोहित हुएअयोध्या मेंआने को l
बार बार वेश धर कर आने लगे बाघम्बर धारीl अयोध्या में बुद्धि वान ज्ञानियों की लग गई होड़.
फिर क्या था देख मौका,
ललना का हाथ देखने पहुँच गए - शिव बाबा
देखा देखी हुई दोनों मन्द मन्द मुस्काने लगे बाबा और शिव - राम
भेद अभेद्य
पूरे विश्व मे फैल गई चर्चा
अयोध्या में जन्मे हैं राम
खबर लगी जब रावण को सहमा ,थर्राया बुदबुदाया
फिर गुणा भाग करने लगा,
अपनी गति को मापने लगा
वह भी था शिव जी का शिष्य और भक्त - जान गया, समझ गया
शिव बाबा क्यों पहुँचे थे
अयोध्या नगरी ..
एक भव्य कोठरी में जा बैठा.
अपनी गति को भाँप गया,
समझ गया ज्योतिषीय गणनाओं से ..
मेरा तरण तारण राम का प्राकट्य हो गया है ..
मन मे धीरे से बोल उठा
"जय श्री राम , जै जानकी माता"
जानकी होंगी राम की अर्धांगिनी
वह दूरगामी परिणाम को भाँप लिया था ..
जानकी जी ही होंगी
मेरी गति की मापदंड
फिर मन मे बुदबुदाया
*जै श्री राम! जै श्री राम !!
राजकुमारी "ज्योतिर्लता"