Wednesday, 22 January 2025

महाकुंभ 2025

*कुम्भ मेला कब  कहाँ और  क्यों लगता है*                        
(मेले का उद्देश्य क्या है ?  --  
पंडित ज्योतिर्माली  
  
                             
उत्तर प्रदेश  में  प्रयाग राज  कुंभ मेला भारत में   ही  नहीं  अपितु  विश्व  भर  मे  प्रसिद्ध  होने लगा  है l
हजारों  साल  पहले   गुप्त  साम्राज्य  के  समाप्ति के बाद राजा  हर्षवर्धन  16 वर्ष की  आयु में अपने पिता  प्रभाकर वर्धन के बाद  राजा हुए तब उन्होंने  उत्तरी भाग का संचालन  करने के लिए कन्नौज  को राजधानी बनाया वे  बहुत ही कुशल - सशक्त  और  धार्मिक राजा हुए  प्रति  5 वर्षो  के बाद प्रयाग राज में संगम  पर  मेला का आयोजन  कराते  थे  l
उनकी दान शीलता  आज तक प्रसिद्ध है मुगल और अंग्रेज काल  में भी प्रयाग राज  का  मेला लगता  था.  

    भारत  की आजादी  के बाद  प्रयागराज  संगम का मेला अनवरत  चल  रहा  है l

वर्तमान  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के  सतत प्रयास से प्रयाग- राज मेला का  का प्रचार- प्रसार  दूर - दूर  तक फैल गया है अब  तो भारत देश  की  अपेक्षा विदेशी  धर्मावलंबियों के आने का सिलसिला बढ़ता जा  रहा  है l 
विदेशियों के स्नान करने  की उत्कंठा बढ़ चुकी  है  हिन्दुओं के अतिरिक्त  अन्य जातियों के लोग  भी प्रयाग राज  के गंगा  यमुना सरस्वती संगम  पर स्नान करने के लिए  भारत मे खिंचे चले  आ  रहे  हैं l
संगम  पर स्नान करने  और  कल्पवास की  तरफ साधु-सन्यासियों  और विदेशियों की होड़ का कारण प्रयागराज पर  अधिक सुविधाओं की व्यवस्था सुलभ को  नकारा नहीं जा सकता है l

प्रयाग राज पर भारत  सरकार की सुव्यवस्था  भी विदेशियों के आने  का आकर्षण  प्रति  वर्ष बढ़ता जा रहा है 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी जी भी एक  धार्मिक सन्यासी हैँ  जिसके कारण उनका ध्यान संगम स्नान पर आने वाले भक्तों  की  सुविधाओं पर विशेष  ध्यान रहता  है 

विश्व के हिन्दुओं के  अतिरिक्त अन्य धर्मावलंबियों में भारत के धार्मिक स्थलों मन्दिरों और रीति-  रिवाजों पर आकर्षित  होने  का कारण भारत  के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की विश्वविख्यात प्रसिद्धि और उनका धार्मिक  दृष्टिकोण  अधिक विदेशियों  को  प्रभावित किया है 
 आज कल भारत के धार्मिक उत्सवों तथा हिन्दुओं की  रीति रिवाजों और मन्दिरों पर क्रिस्चियन व मुस्लिम समुदाय का आकर्षण बढ़ता जा रहा  है  l

प्रयाग राज में संगम में स्नान करने या गंगा  यमुना सरस्वती के किनारे पर सदियों से  भारत के हिन्दू-  -जनमानस स्नान और  कल्पवास करते रहे  हैं  लेकिन मोदी और योगी के स्लोगन  *सबका साथ  सबका विकास का नारा  सार्थक  हो रहा  है* l 
*वसुधैव ही कुटुम्बकम*    की परिकल्पना को  साकार करने की  विचारधारा भारत के  पूर्व ऋषि मुनियों की  देन को किन्ही प्रकार  से आज परिलक्षित होता  दिखाई दे रहा है 

संगम स्नान औऱ उसकी  महत्ता का वर्णन श्रीतुलसीदासजी केश्री रामचरितमानस में  बालकांड में उल्लेख है - 
प्रयाग राज के कुम्भ मेला में स्नान और  कल्पवास के समापन पर *याज्ञवल्क्य ऋषि भारद्वाज ऋषि के  आश्रम में कुम्भ स्नान के  बाद विस्तार से रामकथा की चर्चा हुई थी* आज तक साधु- सन्यासियों, मुनियों - योगियों, चारो शंकराचार्ययों ,नागा- संन्यासियों श्रेष्ठ विद्वानों द्वारा धार्मिक चर्चाओं काअनुष्ठान- संगम अनवरत  प्रति  6 या  12 बर्षों बाद मनाया  जाता है l
वेद पुराण शास्त्रों और  धार्मिक अनुष्ठानों द्वारा   जनमानस के हृदय में  ईश्वर के प्रति आस्था  को जागृत कराने का 
  लक्ष्य होता था साथ ही देश का सार्वजनिक  विकास के प्रति भी ऋषि मुनियों का उद्देश्य  रहता था 

देश समाज के प्रति  राजा और उनकी प्रजा  के लिए नियम कानून का निर्धारण भी ऋषि मुनियों द्वारा किया  जाता था जिसका  पालन राजा और प्रजा दोनों बाध्य होते थे 
इस प्रकार संगम स्नान को महत्वपूर्ण माना  गया जिसका आयोजन  प्रति वर्ष होता था लेकिन कुम्भ स्नान को  धार्मिक महत्व से कई  श्रेणियों में बांटा गया--
"माघ मकर गत रबि  जब होई  l
तीरथपतिहिं आव सब  कोई ll"
देव दनुज किन्नर  नर  श्रेणी l
सादर  मज्जहि  सकल  त्रिवेणी ll"

धार्मिक  वातावरण  को  स्थाई बनाने का प्रयास ही संगम स्नान और धार्मिक आचार्यों  का समावेश मुख्य लक्ष्य  होता था  l

धर्माचरण के द्वारा  ही  देश समाज को एकता  के सूत्र में बांधने का  कठिन प्रयास सदा से चलता आ रहा है--

प्रत्येक वर्ष जब  भगवान सूर्य  नारायण  मकर राशि मे प्रवेश करते  हैँ तब  प्राय: 13/ 14/ या 15 जनवरी  से  एक महीने तक श्रद्धालु  प्रयागराज में संयम  नियम से संगम स्नान करते हुए *कल्प वास करते हैँ*  अपनी श्रद्धा से दान - पुण्य, यज्ञ- हवन , धार्मिक- अनुष्ठान पूजा पाठ आदि करके मानसिक शांति प्राप्त  करते  हैँ - और ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे अपना लोक  परलोक सुधारते  हैँ
 *शाही स्नान क्या है* ? कितने  शाही  स्नान  होते  हैं कुल  छह मुख्य स्नान  बताये  गये  हैं :-
प्रत्येक वर्ष  पौषपूर्णिमा,
मकर संक्रांति , मौनी अमावस्या , बसंतपंचमी, माघ -पूर्णिमा और महाशिवरात्रि  का  संगम  स्नान  का  विशेष  महत्व  है 6 वर्ष पर  अर्द्ध कुम्भ 
12 वर्ष पर पूर्ण कुम्भ तथा 
144 वर्ष पर महाकुम्भ मेला का  आयोजन  होता  रहता  है 
2025 में  लगने वाला  प्रयाग राज का  संगम  मेला 144 वां  महाकुम्भ  मेला कहा  जाएगा 
इसके बाद 2037 में  12 वर्ष बाद  कुम्भ मेला  का आयोजन होगा उस  समय का कुम्भ मेला  देश विदेश से आने वाले अपार श्रद्धालुओं के  कारण कुम्भ मेला  की संख्या दो गुणी  हो  जाएगी जिसको  तत्कालीन प्रधान मंत्री भीड़  को  नियन्त्रित  करना  कठिन  हो  जाएगा 
*किन क्षेत्रों मे कब कब  कुम्भ मेला लगता है*!
वृहस्पति और सूर्य  का भिन्न-भिन्न राशियों पर आने  से  4 स्थानो पर अलग अलग  कुम्भ  मेला  का  आयोजन  होता  है 
संजोग से  2 कुम्भ स्नान  का मेला  उत्तर प्रदेश मे  ही  अलग अलग महिनों में  आता  है 
👉🏼 जब वृष राशि पर गुरु  और मकर राशि पर सूर्य  आता है तब प्रयाग राज  पर संगम स्नान का मेला  लगता  है 
👉🏼  सिंहस्थ वृहस्पति   एवं मेष राशि का सूर्य  होने  से  उज्जैन में  कुम्भ मेला  लगता  है 
👉🏼  सिंहस्थ वृहस्पति और सिंह राशि का  ही सूर्य होने से  नासिक  महाराष्ट्र  में कुम्भ मेला  लगता  है 
👉🏼  कुम्भ राशि का  वृहस्पति और मेष राशि  का सूर्य  होने  पर  जो  कुम्भ मेला  लगता  है  वह  हरिद्वार  में  लगता  है 
कहा जाता है  कि  प्रयाग राज सारे तीर्थों  का  राजा है जहां कुम्भ  के  समय  तीनों लोक  के देवता - दानव - किन्नर , संगम स्नान  करने के लिए भारत  की  धरती पर विभिन्न रुपों  में आते  हैं  इसीलिए  नर नारी,  साधु- सन्यासी, योगी-यती , संगम  पर स्नान आदि-कल्प वास  करके  अपना  जीवन सफल  बनाते  हैँ शास्त्र  के अनुसार  ऐसी  मान्यता  है कि  प्रयाग राज पर कल्प वास  और संगम स्नान करने  से मोक्ष लाभ होता है 
जन्म मृत्यु के  आवागमन से छुटकारा मिलता है पूर्व जन्मों के सभी पाप धुल जाते हैँ भारत ही सौभाग्यशाली देश हैं जहां देवलोक से  देवी देवताओं का सीधा  संपर्क आज तक कायम है सारे भगवानों का आगमन भारत में सदस्यों से होता रहा है  जो जीव जंतु भारत  की  धरती  पर जन्म  लेते वे सभी  पुण्य आत्मा  वाले  होते  हैँ 
इसीलिए  सभी  ईश्वरी  अवतारों  का प्राकट्य  भारत  की  धरती  पर   हुआ  है आगे भी कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के सम्भल मे  भविष्य में होने वाला है 

मधुसूदन मिश्र 
पंडित ज्योतिर्माली  कोलकाता 
www.ptjyotirmalee.com

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