*कल्कि अवतार*
कब कहाँ और कैसे ?
संक्षिप्त कथा ...
--- (पंडित ज्योतिर्माली )
उत्तरप्रदेश के सम्भल जिले के गावं में एक विष्णु सम्प्रदाय परिवार पुजारी के घर मे माता पिता विष्णुयश या विष्णु भागवत माता सुमति या सौम्यवती, और दो पत्नियाँ होंगी कल्कि
अपने माता पिता की चौथी संतान होंगे इनकी सवारी सफेद घोड़ा होगा जिस परआरूढ़ होंगे इनके घोड़े का नाम देवदत्त श्वेत होगा अश्वारोही कल्कि घोड़े की सवारी करेंगे औऱ ऊपर उड़कर कहीं भी जा सकते हैं - काली राक्षस के साथ युद्ध करेंगे इनके हाथों में चक्र व तलवार होगा पापों के बढ़ने से पापियों का नाश करने के लिए प्राकट्य होंगे l कलियुग के अंतिम समय में इनका अवतरण होगा उसके बाद सतयुग की स्थापना करेंगे कलियुग के अंतिम चरण और सतयुग आरम्भ के मध्य में इनका अवतरण होगा
काली नमक दैत्य धार्मिक धर्मावलम्बियों के उपर अत्याचार और जोर-जबरदस्ती से या बलपूर्वक धर्मांतरण करने या व्याभिचार की सीमा पार करने तथा अनैतिक रूप से नर-नारी , स्त्री पुरुष- बहन -बेटियों को सताने अथवा किसी असहाय जीवों को दुख पहुचाने पर धर्म विरुद्ध कार्य करने गौ ,नारी -ब्राह्मण को पीड़ा पहुंचाने पर कल्कि देव का प्राकट्य होता है l-- (आगे का दृष्टान्त लगता है किसी ने मनगढ़ंत जोड़ा है )
प्राकट्य के बाद अपने घोड़े पर सवार होकर पहाड़ की ओर जाएंगे
इनका गावं वृक्षो लता पत्रों से गहन आच्छादित होगा जलाशय और छह रीतियों से युक्तवातावरण होगा विष्णु पुराण के रचयिता श्रीवेदव्यास जी ने कल्कि पुराण मे उल्लेख किया है कि जब कल्कि अवतार होगा उनदिनों ग्रह नक्षत्र सब उच्चतम स्थिति में होंगे सभीग्रहो की भूमिकाएँ कल्कि. अवतारतार के लिए श्रेष्ठफल की प्रस्तुति होगीं l कल्कि पुराण में प्रथम श्री मार्कण्डेय जी औऱ श्रीशुकदेव जी का संवाद वर्णन है विवाह के लिए कल्कि भगवान सिंहल द्वीप जायेगे जहां जलक्रीड़ास्थल पर राजकुमारी पद्मावती सेपरिचय होगा और विवाह होगा विवाह के बाद वो नारी रूप मे बदल जाएंगे क्योंकि पद्मावती केसाथ दूसरा कोई विवाह कर नहीं सकता था यदि कोई ऐसा करेगा तो वो नारी बन जाएगा लेकिन कल्कि जी केसाथ कुछ समय के लिए ही नारी रुप रहेगा कल्कि जी फिर पुरुष रूप मे अपने गाँव लौट आते हैं अपने नगर को विश्वकर्मा द्वारा पुनःअलौकिक नगर का निर्माण होता है कल्कि अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा माता पिता विष्णु भक्त उच्चस्थ गुरु और शनि उच्च होंगे सभी ग्रह उच्च के होंगे तो विद्वत जन समझ जाएंगे कि कलियुग की समाप्ति होने वाली है
.कल्कि अवतार में भविष्य वाणी की गई है कि 4320 वीं शताब्दी में कलियुग की समाप्ति होगी *सतयुग* आने के पहले धार्मिक उन्माद चढ़ाई पर होगा राक्षस प्रवृति के लोगों का धर्मावलंबियों पर अत्याचार बढ़ता देख विष्णु लोक से कल्किजी को धरती परअवतार लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा *श्रीवेदव्यास जी* संस्कृत में कल्कि पुराण लिखे हैँ आगे हरिद्वार में कल्कि जी सब श्रेष्ठ मुनियों से भेट करेंगे फिर उनसे श्री रामचंद्रजी का चरित्र वर्णन सुनेंगे तत्पश्चात शशिध्वज से युद्ध होगा हारकर शशि ध्वज अपनी पुत्री रमा से कल्कि से विवाह कर देता है कल्कि पुराण में नारदजी आते हैं तब कल्कि जी नारदजी से मोक्ष पर चर्चा होती है वहीँ रुक्मणी व्रत का प्रसंग चलता है अंत मे सतयुग की स्थापना की व्याख्याएं हैं जहां दैत्यगुरू शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी और शर्मिष्ठा की विस्तार से कहानी है कल्कि भगवान देवदत्त घोड़े पर सवार होकर हाथो मे तलवार और चक्र होगा
कल्कि पुराण में सम्भल में कल्कि का अवतार होगा जहां पर पहले से ही राक्षस प्रवृत्ति के कारनामे 1978 एवं 1980 में दंगाइयों द्वारा राजाओं और हिंदूओं के धार्मिक मन्दिरों को नष्ट कर डाला, सैकड़ों हिन्दू पंडितों केजमीनजायदाद को लूट लिया और उन स्थलों पर मस्जिदों को बनाया सैकड़ों हिन्दू परिवारों को मार गिराया अथवा उन्हें सम्भल छोड़ने को मजबूर किया जैसे कश्मीर और भारत के अन्य कई राज्यों में हिंदू हीननगर आज तक असहायों की जिंदगी जी रहे हैँ l ऐसे ही अन्याय और अराजकता वातावरण में कल्कि अवतार होने की बात का उल्लेख है
जैसे -जैसे कलयुग का समय निकटआता जाएगा वैसे -वैसे पापियों का दुस्साहस बढ़ता जाएगा जैसे रामअवतार मे रावण और कृष्णा अवतार में कंस का घोर अत्याचार से मुक्त कराने के लिए ईश्वर का अवतार हुआ था l
मधुसूदन मिश्र
पंडित ज्योतिर्माली
ज्योतिषचार्य
कोलकाता
www.jyotirmalee.com
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