Thursday, 31 December 2020

जनवरी 2021- सरकारी घोषणा: पण्डित ज्योतिर्माली

*जनवरी 2021
     ।।सरकारी घोषणा  ।।            
 *भारत सरकार की ओर से प्रथम जनवरी 2021*को ही सर्बत्र  पाबन्दी का फरमान* *मजबूरन जारी किया गया है*  नए साल का जश्न जो वर्षो से सारी दुनियाँ मनाती रही  है  -अब वह आनंद उत्सव मौज मस्ती  सब पर शख्त पहरा सरकार का लागू हो गया है भारत ही नही पूरे विश्व के सभ्रांत राष्ट्रों शहरों में यह प्रतिबंध
वहां की सरकारों द्वारा लागू किया गया है क्योंकि
*करोना का भय और दहशत   विश्व भर में अभी समाप्त नही हुआ है* इसी लिए  विश्व भर  में-" नए साल जनवरी"  का लुफ्त ठंढा पड़ रहा है  इसके बावजूद विश्व के कुछेक शहरों में नए साल का जश्न  अर्द्ध रात्रि में आतिशबाजी करने से नही चूकेंगे  वे  अपना नया साल मनायेगे ही क्योंकि  नए साल का मनाने का जनून उनको मजबूर करेगा  " 
उनकी देखा देखी दूसरे देश भी जश्न जरूर मनाएंगे । कोरोना कोविड 19 पर
*मेरी भविष्यवाणी पर जिन कुछ लोगो को कुछ अटपटा लग  रहा था अब उन्ही लोगो के मैसेज और फोन आते जा रहे हैं *गुरुजी आपकी भविष्यवाणी सच होती जा रही है*  
अप्रैल - मई  2020 में जब विभिन्न समाचार पत्रों और इंटरव्यू , फेसबुक तथा स्टेटस से  लोगो को कोरोना की जानकारी कराता रहा तब  कुछ लोग बहुत हल्के से लिए थे प्रत्येक ने तब विषमय मुद्रा में कहा था -गुरुजी ! सच , पण्डित! जी आप एक बार फिर से विचार कीजिये न । क्या यह साल घर मे बिना ऑफ़िस गए बिताना पड़ेगा?  हाँ ।
स्वीकारात्मक लहजे में मैंने हाँ कहा था, तब सब को यह विश्वाश ही नही हुआ था  
यह प्रश्न तब मुझसे पूछा गया था जब हमारे देश के हमारे *प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ने रात को 8 बजे यह घोषणा किये की" आप देशवासी अपने आप को खुद को कर्फ्यू की तरह घरों में कैद रहें, घर से अपना काम काज कीजिये दफ्तर, कल -कार खानों, में न जायें, व्यापारियों से अनुरोध करते हुए  कोरोना का व्यापक बुरा असर की आशंका से प्रधान मंत्री जी ने कहा था अपने कर्मचारियों का वेतन न काटिये यदि असुविधा हो तो आधा वेतन ही दीजिये लेकिन किसी कर्मचारियों को काम से न हटाइये " *यह अनुरोध था भारत के प्रधान मंत्री का*।
तब मेरे चिर परिचितो का फोन आने शुरू होगया
मैन तब सबसे यही कहा था 
*चैत्र नवरात्रि से लेकर  श्रावणका त्योहार,दुर्गापूजा ,
दीपावली और अन्य मुख्य पर्व बड़ी कठिनाई से मनाना पड़ेगा यही नही होली तक  कोरोना का भय व्याप्त रहेगा और बाद में आप लोगो ने पाया कैसे एक साल घर मे रहना पड़ा , देखा गया यही सब घटनाये बड़ी दिक्कतों से घटती गईं
अब उसी क्रम में नए वर्ष 2021  का आरम्भ भी हम सब लोग *कोरोना की छत्र छाया में बिताएंगे*  नए साल की धूम धाम आतिशबाजी से दूर रहेंगे जो जीवन की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक भी है जीवन बचा रहेगा तो बार बार नया साल मनाते रहेंगे
*ज्योतिष विद्या से भविष्य की जानकारी होती है* *यह हमारे ऋषिमुनियों की देन है*
*जिसके ज्ञान से आज हम ज्योतिषीगण समाज को एक दिशा देते हैं* ।
समाज की सेवा करना ही ज्योतिष विद्या का मूल मंत्र होता है जो ज्योतिषी इस सिद्धांत से भटके हुए हैं उनके लिए धन ही धर्म है तो
उनकी सेवा कहीं न कहीं  प्रश्न वाचक चिन्ह  के।.-
*पंडित ज्योतिर्माली* www.panditjyotirmalee.com

Friday, 18 December 2020

बंगाल में ममता दीदी की राजनीति किधर?

बंगाल में ममता दीदी की राजनीति किधर?
:मधुसूदन मिश्र, ज्योतिषाचार्य पण्डित ज्योतिर्माली
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पार्ट - 2 *बंगाल में तीन पार्टी अकेले ममता दीदी*
अब देशके  राज्यो में चुनाव होने वाले हैं सर्वत्र चुनावी माहौल गर्म है  जितने लोग उतने मुँह  -बंगाल में राजनीति की बातकरे  तो यहां पहले कांग्रेस को पटखनी देकर बाम पंथी सरकार 30 से 34 वर्षो तक अखण्ड बंगाल का
शासन करके भारत मे नया कीर्तिमान स्थापित कर सकी  इसमें 22 वर्षो तक केवल बाम दल के सिर मौर बने ज्योतिबसु ने ही बाम पंथी को बंगाल में सम्भालते रहे बाद में बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बाम दल को बचाये रखे 
अंत मे बुद्धदेव बाबू के समय मे ही बंगाल में उनके शासन की जड़े हिलने लगी 
मौका की तलाश में कांग्रेस थी लेकिन आपसी मतभेद के कारण कांग्रेस असफल रही इन्ही दिनों भाजपा भी जोर लगाती रही कि बंगाल में एक अदद कोई भाजपा विधायक बने संजयोग बस एक कमल तपन सिकदर के द्वारा खिल गया तब अटल जी प्रधान मंत्री थे
दीदी भाजपा में सांठ गांठ लगा कर भजपा में घुसी और रेलमंत्री तक का पद हासिल कर ली
कई बार दीदी भाजपा छोड़ती और अटल जी दीदी के कालीघाट के निकट वाले घर तक मनाने एक बार आये थे और अटल जी अपनी पार्टी की शाख बचाने हेतु दीदी की माता जी के पैर तक छुए थे 
जो जो हो दीदी म सिर ऊपर और ऊपर होता गया शान बढ़ता ही गया 
दीदी की पकड़ राजनीति में अब धीरे  धीरे मजबूत होने लगी  उधर बांम दल पर दीदी की नजर थी उधर अपने पुराने खेमे कांग्रेस से आजिज आ चुकी थी दीदी।
उनके सामने तृण मूल की पार्टी आंखों के सामने कौंध रही थी भाजपा में जुटने के पहले से ही कांग्रेस छोड़ कर तृण मूल में आईं और अब तरीन मूल के सहारे अपनी नई पार्टी की  घोषणा कर दी अब तृणमूल दीदी की अपनी नई पार्टी बन चुकि थी भाजपा ,तृणमूल के बीच राजनेतिक जीवन उभर रहा था केंद्र की राजनीति छोड़ कर बंगाल की राजनीतिक जीवन को अधिक प्रश्रय देने लगी  जीवन का मकसद केंद्र से नही बंगाल से पूरा होगा यही सोच कर भविष्य की रण नीति दीदी ने बना डाला और वह सफल भी हुईं प्रथम बार मुख्यमंत्री बनने के दरमियान कई तरह के आरोप प्रत्यारोप भी लगे किन्तु सबके आरोप धरे के धरे रह गए  पुनः विधान सभा बंगाल में निर्वाचित हुई और मुख्यमंत्री बनी  इन्ही दिनों उनके ऊपर  कुछ लांछन भी लगाए गए केंद्र और अन्य दलों के लोग दीदी के असली जाति का भेद मालूम कर लिया  जो उनके जीवन की ब्यक्तिगत मामले थे कई तरह के उजागर भी हुए  अल्प संख्यक जाति को लेकर अनेक बवाल भी दीदी के सामने उठाये गए पता नही इन बातों में कितनी सच्चाई दबी आदि है
बंगाल में जातिगत हिंसा चुनावों में धांधली और किसी एक जाति विशेष को लेकर दीदी पर पक्षपात करते रहने के कारण विपक्षी दलों को दीदी को उन्ही के तर्ज पर बंगाल से उखाड़ फेंकने की कोशिशें चल रही हैं अब कौन दल कितनी कामयाब होगा यह भविष्य के गर्त में तब तक छुपा रहेगा जबतक चुनाव नहो जाता है
कोई कहता है अबकी बार  दीदी को उनकी गलत नीतियों  और जाति भेद कार्यशैली की गन्दी  पद्धति के कारण बंगाल में शिकस्त मिल सकती है लेकिन पण्डित ज्योतिर्माली के आकाशीय ग्रह क्या बयान कर रहे हैं जिनका खुलासा खुद पंडित ज्योतिर्माली ही कर सकते है जैसा कि 2011 और 2014 में स्प्ष्ट भविष्यवाणी की थी कि चाहे पार्टियों के उठापटक और एग्जैक्ट पोल जो कहे ओर जीतेगी ममता दीदी 
परिणाम वही हुआ जो पंडित ज्योतिर्माली ने उद्घघोषित किया था तो अब पिछले वर्षो की भांति प्रतीक्षा कीजिये दीदी के लिए नई भविष्यवाणी का क्या होगा ......

Wednesday, 16 December 2020

2021 : बंगाल में दीदी का त्रिकोणीय संघर्ष

*2021 -बंगाल में दीदी का त्रिकोणीय संघर्ष 
- मधुसूदन मिश्र, पण्डित ज्योतिर्माली
"बंगाल में तीन पार्टी  और अकेले  ममता दीदी"*
"अटल बिहारी के शासन काल "मे कभी संसद की तेज तर्रार कही जाने वाली बंगाल की शेरनी दीदी ममता बनर्जी की पहचान हुआ करती थी वही दीदी कभी रेलमंत्री की शान थी तो कभी बंगाल में कांग्रेस के लिए सिर दर्द तो कभी बाम की सरकार को जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए कसम खाएं थी । *ज्योतिबसु के दलहौसी स्थित विधान सभा  दफ्तर में हिंसक बनी और तब ज्योतिबसु के लिए भारी सिरदर्द बन गईं । उधर  कांग्रेस से अलग हुई फिर एक नई पार्टी *तृणमूल* जो मुकुल राय के हाथों में थी उसको अपने कब्जे में करके सर्वेसरबा मुकुल को बना डाली।
दौर पर दौर बिता समय की प्रतीक्षा करती हुई दीदी अन्तोगत्वा बाम पंथी को बंगाल से ऐसे साफ करने में सफल हुईं जैसे लोमड़ी दुम दबाकर जंगल की ओर भाग जाती है।  दुबारा बाम पंथी बंगाल क्या भारत से उनका पत्ता साफ होने लगा उन का हार्ट अटैक होता गया।  ममता दीदी की तुलना किसी महिला नेता से करने में साउथ की  नृत्यांगना से मुख्य मंत्री बनी जयाललिता से की जाती रही इनके मुकाबले मायावती  की राजनीति फीकी पड़ गई वहीं दीदी बंगाल की सिरमौर बनती चली गईं।कांग्रेस की पार्टी से अनेकों बार निकलती फिर मिलजाती अगर किसी महिला मंत्री ने सोनिया गांधी को शिकस्त  दिया तो वह हैं- बंगाल की एक मात्र "ममता दीदी"*
 समय की  चाल भला कौन पहचानता है।  देश मे जनमानस - सेवा की राजनीति करने वाले लोग  न जाने क्यों किसी काल के गाल में समाते जा रहे हैं भारत की राजनीति केवल स्वार्थपूर्ति के लिए ही ठहर गई है।  कुछ निःस्वार्थ सेवक अंगुलियों पर गिने जा सकते है। कांग्रेस काल मे  "वाद" की शुरुआत हुई जो आगे चल कर जाति वाद  ब्राह्मण वाद क्षत्रिय वाद वैश्य वाद और हरिजन वाद  में बढ़ती गई  इस तरह से असंख्य जाति वाद की फौज विधान सभा और संसद की कुर्सियों तक जा पहुंची।
अम्मा ,बहनजी, ऐंटिनियो और  बाम को  निरस्त करने वाली ममता दीदी नम्बर वन बन गयी।
दीदी की राज नीति की पकड़ पुरुष वर्ग नेताओं से कहीं अधिक आगे हो चुकी है।
कम्पटीशन में जैसे शाहरुख खान अमिताभ बच्चन की जोड़ी वर्षो से सुनी जा रही है। उसी तरह आज की राजनीतिक में सबल और "ममता" शब्द से विपरीत अर्थ में विपक्ष के लोग कोई नया नामकरण भी करने लगे हैं।
जो हो बंगाल की राजनीति के पीछे कांग्रेस और बाम दल तो था ही अब एक नया नाम भी जुट गया है।
"ओबैसी  जो हैदराबाद"से  है जो सम्भवतः दीदी कांग्रेस और bjp के किसी एक दल को मजबूत करने का इरादा अवश्य दर्शाती है।
अब सवाल है कि क्या होगा भविष्य इन तीन पार्टियों का
कौन होगा -बंगाल का नया या फिर पुराना सरदार 


नोट:  इस पर विस्तृत जानकारी के लिये कीजिये प्रतीक्षा पंडित ज्योतिर्माली के द्वारा भविष्यवाणी का कई खण्डों में   सही निष्पक्ष और बेबाक भविष्यवाणी का।।

Friday, 4 December 2020

भाजपा का परचम लहराएगा: पण्डित ज्योतिर्माली

योगी नाथ - "मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश" की वाणी फलेगी
*हैदराबाद का नाम बदलेगा
भाग्यनगर नाम करण* होने का पूरा योग दिखता है ज्योतिष की दृष्टि से यह वर्ष 
 भाजपा के लिए एक शुभ संकेत हैं ग्रह नक्षत्र भी श्री मोदी जी के पक्ष में होने में  संसय की गुंजाइश नही है उधर योगी की वाणी में उनके ग्रह सहायक होंगे *भगवाकरण भाग्यनगर *दोनों ही भाजपा के पक्ष में होंगे ऐसा सम्भव है
दक्षिण भारत मे मोदी जी की लहर और गूंज का बोलबाला होगा वहां के निवासियों को एक नया जीवन दान मिलेगा , काया कल्प होगा। दक्षिण भारत में *कमल और भगवा* दोनों का उदय भाजपा के लिए एक नया जोश और भविष्य की नींव का पत्थर साबित होगा देश मे मोदी की जहाँ सरकारें बनी हैं वहां जन साधारण को विकास नजर आया है यह भी एक बहुत बड़ा कारण है  कारपोरेशन के चुनाव में ओबैसी चित्त होंगे।bjp की शाख बढ़ेगी। पण्डितज्योतिर्माली 
 कोलकाता

Saturday, 28 November 2020

कोरोना से विश्व को मुक्ति कब मिलेगी: पण्डित ज्योतिर्माली

जबसे लॉक  डाउन लगा है तबसे आज तक अनेक फोंन मेसेज और ह्वाट्सऐप आते जा रहे है कि यह जो 2019 से 2020 Nov -Dec तक  सारे विश्व को पंगु बना लिया है। यह कोरोना और कब तक पूरे भारत के लोंगो को निठल्लु बनाएगा। हम कब अपने अपने काम धंधे से जुटेंगे --
उत्तर: पंडित ज्योतिर्माली : मैंने अप्रैल 2020 मे एक साक्षात्कार में यह बताया था कि पूरा वर्ष यूँ ही कोरोना केआतंक में व्यतीत होगा। बीच बीच में सरकार को लॉकडाउन लगाना ही पडेगा सरकार ने वही  किया कई बार घोषणानाएँ की गई कि लोक डाउन के चलते गांव गावँ शहर शहर में आवागमन पर प्रति बंध लगते रहे सबके पूछने पर भी
बार बार मेरा उत्तर यही रहा है  कि 2020 का वर्ष के सभी त्योहार बड़ी कठिनाई से बीतेंगे। वही हुआ भारतीय हिन्दुओं के सभी पर्व बड़ी  कठिनाई से बिते उस समय (अप्रैल में) तब सभी को मेरी बात पर भरोसा नही हों रहा था।  "अब फिर से बताता हूँ"-- वैसे तो नवम्बर दिसम्बर 2020 और जनवरी  फरवरी 2021 का वर्ष भी लोगो के लिए उतना ही दुखद रहेगा जितना पिछले साल का था
2021 में होली जलने के बाद से ही कोरोना का भय कम होगा। नवरात्रि शेष होने पर आवागमन कुछ सरल बन सकेगा। जो लोग सरकारी आदेश का उलङ्घ्न करते हैं- यानी मास्क न लगाना, आपस मे दूरी न रखना आदि इसका मतलब कोरोना को बढ़ावा देना होगा। एक गणित के अनुसार कोरोना का असर तो 2022 तक व्याप्त रहेगा । बहुत से लोग आज भी विशेषतया ग्रामीण इलाको में लोग कोरोना से बचने के नियमो का पालन नही कर रहे हैं। जिसके कारण यह गांव से शहर और शहर से गांव कीओर  फैलता ही जा रहा है। सरकार लोगो को जागरूक तो कर रही है पर लोग जागरूक हो नही रहे है।
उनके आसपास में कोरोना का आक्रमण देर सबेर आता जाता रहेगा इसलिए मोदी सरकार की सलाह माननी चाहिए।  जीवन को सुरक्षित रखगे तो बाल बच्चों का सुख भोगेंगे। अन्यथा - *होंहि जो राम रचि राखा को करि तर्क बढावहिं शाखा*
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Friday, 20 November 2020

 


बिहार का ही मुख्य पर्व छठ क्यों ?

                                                                                                               
मधुसूदन मिश्र, पं. ज्योतिर्माली

     

छठ पर्व बिहार में मनाए जाने का मूल कारण

वैदिक काल में मध्य भारत के कीकट प्रदेश में गयासुर नामक एक राक्षस था। वह भगवान विष्णु का भक्त था।

गयासुर का शरीर भीमकाय था जब वह लेटता था तब उसका सिर उत्तरी भारत मेपैर आंध्र प्रदेश और हृदय स्थल गया में होता था।

देवता उससे भयभीत रहते थे। ब्रह्माजी भी असहाय हो गए। देवता गयासुर से मुक्ति चाहते थे क्योंकि अकारण ही सबको परेशान करता था। देवताओ के आग्रह से विष्णु जी ने एक यज्ञ करने की अनुमति मांगी। गयासुर को आभास हो गया था कि यज्ञ से उसका प्राणान्त होगा फिर भी विष्णु के आग्रह को न टाल सका।

यज्ञोपरांत गयासुर का अंत हो गया विष्णु ने उसको वरदान दिया था कि उसका नाम अमर हो जाएगा। प्रत्येक हिन्दू अपने पित्तरों का पिंडदान करेंगे। आज तक परम्परा चल रही है।

 

देवगण महायज्ञ हेतु पुरोहितों की खोज में थे तब नारदजी ने बताया कि ऐसे पुरोहित केवल शाक्य द्वीप (अब ईरान) से लाये जा सकते हैं। ये पुरोहित सूर्य उपासक होते थे। वे मग ब्राह्मण के नाम से बिख्यात थे (विष्णु पुराण में 2,4,6,69,71)। मग का अर्थ --अग्नि पिंड अर्थात सूर्य। सूर्य विष्णु का ही स्वरूप हैं - सात ब्राह्मण जो सूर्य उपासक थे उन्हें लाया गया। जिहोंने यज्ञ सम्पन्न किया। वे ही पुरोहित ब्राह्मण शाकद्वीपी कहलाये।

वे सातो ब्राह्मण गया के आसपास बस गए। एक खोज में 19371938 में गोविंदपुर में इनके वंशज रहते थे। बिहार में मग -शाक्य द्विपी ब्राह्मणों ने अपने देव् सूर्य की उपासना करते थे उनके साथ मगध क्षेत्र के निवासी भी सूर्य देव की उपासना करने लगे थे।

सूर्य प्रत्यक्ष देव् हैं -सूर्य षष्ठीका वैज्ञानिक महत्व भी है। समय के अनुसार इस उपासना को छठ महापर्व के रूप में लोगों ने प्रचलित कर दिया।

छठ पर्व की उपासना की पद्धति खूब सरल थी लेकिन नियम कठोर थे इस पर्व में किसी पुरोहित या  ब्राहमण की आवश्यकता नहीं पड़ती थी घर का कोई भी सदस्य इस उपासना को नियमपूर्वक कर सकता था।

आज यह छठ पर्व भारत ही नही अपितु विदेशो में भी बड़ी श्रद्धा और पवित्रता के साथ मनाया जाता है।

छठ महा पर्व का उद्भव मगध (मगह )क्षेत्र से आरम्भ हुआ। खोज में ज्ञात हुआ  की ये शाकद्वीपी ब्राह्मणों मगध में सात जगहों पर सूर्य मन्दिरो की स्थापना की जैसे -देव, उलार, ओगांरी, गया और पंडारक आदि।

देव का छठ सबसे पवित्र माना गया है।

शाक्यद्वीपी ब्राह्मण अपने की अग्निहोत्री ब्राह्मण मानते हैं।

छठ महापर्व में सूर्यदेव की उपासना के साथ साथ उषा और प्रत्युषा की उपासना का भी महत्व है।

उषा का अर्थ होता है प्रातः और प्रत्युषा का अर्थ संध्या। उषा और प्रत्युषा दोनों काल का सूर्य से सम्बंध माना गया है। दोनों ही छठी मैया के नाम से प्रचलित है।

सूर्य देव की संगिनी हैं यही कारण है कि छठ पूजन में उपासक लोग पहला अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को देते हैं फिर रात भर जागरण करते हुए भजन कीर्तन के सहारे रात बिताते है फिर दूसरे दिन उगते सूर्य की आराधना करते हैं। सूर्य देव और परम माता श्री प्रत्युषा एवं श्री उषा की सरल पद्धति से की गई पूजा व्रत उपासना का फल आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें।

लोकआस्था का यह महापर्व - छठ व्रत की हार्दिक शुभमंगलकामनाएं।

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Monday, 31 August 2020

Astrologer Pandit Jyotirmalee
Astrologer Pandit Jyotirmalee

 

क्या कहते हैं सुशांत सिंह राजपूत के ग्रह


मधुसूदन मिश्र, पंडित ज्योतिर्माली


लग्न में शनि पर मंगल का विराजमान होना और उस पर राहु की दृष्टि का पड़ना अशुभ ही कहा जाएगा। इसी दिन बालीवुड अभिनेता सुशांत की नृशंस हत्या कर दी गई। जन्मकालीन मंगल भी शनि पर ही विराजमान होने से परिस्थितियां सदैव उनके जीवन में अनुकूल न होने के बावजूद भी उसे अनुकूल बनाने में तत्पर रहते थे। इसी कारण सुशांत के आलोचक भी पैदा हुए और उनपर घात भी लगाए रहते थे। अष्टम भाव में शनि और केतु का बैठना और दूसरे भाव में राहु का विराजमान होना परिवार से अलगाव को दर्शाता है। मंगल पर शनि का बैठना और धनभाव पर दृष्टि पड़ने से धन हानि की ओर संकेत करता है।

सुशांत सिंह राजपूत उच्चाकांक्षी इंसान थे। फिल्मी करियर से उन्हें लाभ भी मिला। मानसिक अस्थिरता और कम अवधि में कुछ बड़ा कर गुजरने की कड़ी में लोगों से मिलते बिछड़ते गए। 6 अप्रैल 2020 से वृहस्पति की दशा आई जो मार्केश भी है। वृहस्पति में वृहस्पति का अंतर काल में ही ग्रह अपनी चाल चल गए अथवा विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। इनसे लोग लाभान्वित होते रहे कभी धर्म कर्म की ओर प्रेरित कर तो कभी भोलेपन में आकर अथवा धर्मभीरु होकर भी। मित्र एवं छोटे भाई बहन बनकर जो भी इनके पास आए होंगें इनसे लाभान्वित हुए होंगे। शान शौकत और दिखावे के साथ जीना पसंद करते थे तो दूसरी ओर अंत:करण में सादगी थी जिसे कभी कोई देख नहीं सका होगा।

उच्च का राहु जब लग्न पर क्रूर दृष्टि डालता है तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है। षडयंत्रकारी बाहर थे परन्तु हावी थे। जलने अथवा किसी विद्दुत यंत्र का उपयोग करके प्रताड़ित करने की बात कही जा सकती है। इस साजिश में रिया चक्रवर्ती के पिता और छोटा भाई शौविक भी बराबर का भागीदार दिखाई देते हैं। रिया चक्रवर्ती के मित्र और नेक्सस उनके पिता से भी जुड़े हुए दिखाई देते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की रहस्मय मौत से रिया चक्रवर्ती को ड्रग्स माफिया जैसे गिरोहों के द्वारा लाभ मिलने की बात कही जा सकती है। षष्ठेश द्वीतीय भाव में बैठकर गले और धन पर प्रहार की ओर इंगित करता है। घटनाक्रम के दिन के ग्रहों पर गहन अध्ययन से पता चलता है कि 6 आदमी और एक महिला की उपस्थिति में इस घटना क्रम को अंजाम दिया गया होगा। काफी अथवा चाय जैसे तरल पदार्थ में जहर भी देने की बात संभव है। रिया के संपर्क वाले लोग अंधेरे में हैं। दुनिया के सामने अब तक नहीं आए हैं। रिया चक्रवर्ती के रोजमर्रा के जान पहचान वाले लोग ही सुशांत के शत्रु नजर आते हैं। 13- 14 जून 2020 की रात को 10 से 2 बजे के बीच घटना को अंजाम देने की बात ग्रह योग इंगित करते हैं।



8 जून के दिन के ग्रह की बात करें तो उस दिन रिया और सुशांत के बीच तनाव और मनमुटाव की बात स्पष्ट होती है। बड़ी बहन मीतू के ग्रह उस दिन प्रभावशाली थे। जिससे लाभ के क्षेत्र में उथलपुथल के साथ विचारों में अस्थिरता सुशांत के दिमाग में चल रही थी। सुशांत तीव्र गति से बातों को समझना और समझाना चाहते थे। सुशांत कुछ निर्णय ले लेना चाहते थे क्योंकि अंधेरे से पर्दा उनके सामने उठ चुक था। जिससे आवेश में रिया ने घर छोड़ने का निर्णय ले लिया पर अपनी आंखें और कान सुशांत के पास स्टाफ के तौर पर छोड़ कर गईं। शुत्रु बुद्धि से धर्म के नाम पर धन लुटता रहा।

डाक्टर चक्रवर्ती ने भी अपने अनुभव से अपनी बेटी के सपनों को संजोने की भरपूर कोशिश की होगी। सुशांत को हाथ से निकलता देख गिरोह के साथ हत्या की साजिश में सहयोग दिया होगा, जिसमें घर के सभी नौकरों ने बखूबी साथ निभाया। 

कह सकते हैं कि लोगों ने जिस थाली में खाया उसी में छेद करने से हिचके भी नहीं।

अगर सरकार की गहन जांच में कोई अडंगा नहीं डाले तो जांच ऐजेंसियां तह तक जाने में सक्षम होंगीं। असली गुनगहार जनता के सामने आ सकते हैं। 

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Wednesday, 5 August 2020

रामलला प्रसन्न 

हैं !



मधूसुदन मिश्र, “पंडितज्योतिर्माली

आज मन अति प्रसन्न है। सिर्फ मेरा ही क्यों, विश्व में बसे करोड़ों हिन्दुओं का दिल गदगद हो गया है। आज अयोध्या में इतिहास रच दिया गया है। भारत का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। रामलला के वनवास के दिन पूरे हो गए और अब वो अपने महल में शान से विराजेंगें। प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर शिलान्यास कर रामलला के भवन की नींव रख ही दी। राजनीति तो बहुत हुई पर सत्यमेव जयते। कहते हैं ना भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। जिस संचलानकर्ता के अरबों भक्त हैं प्रत्यक्ष रुप से परोक्ष रुप से तो प्रत्येक जीव में बसे हैं राम और जीवन आधार हैं राम। जगत संचालक को भी धरती पर अपने लिए लड़ाई लड़नी पड़ी अपरोक्ष रुप से। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जैसा हम सब जानते हैं कि रामलला बालरुप में विराजमान हैं। बालक, जिसे जिस रुप में रखिए वो मुस्कुराता ही रहता है परन्तु उसका एक दुख माता पिता को क्या पूरे घर को झकझोर कर रख देता है। बालक कुछ कहता नहीं पर उसकी हंसी और क्रंदन उसके भावों को स्पष्ट करता रहता है। उसी प्रकार हमारे रामलला ने स्वयं कुछ नहीं बोला परन्तु उनके अनुयायी, उनके भक्त, उनके में आस्था रखने वाले लोगों को कष्ट हुआ और वो अदालत का दरवाजा खटखटाने लगे। स्वयं से ही कोई राम का परिवार बना और रामलला की ओर से लड़ा। तो कुछ अपने होकर भी बाह्य मजबूरियों के कारण रामलला के विपरीत भी गए। बालक किसी के गुण दोष मन में नहीं रखता। हमारे रामलला भी सबको समान दृष्टि से देखते हैं। सबका उद्धार ही करते हैं। जब भी मैं जाता था तो हर हिन्दू की तरह मन रो पड़ता था कि इतने बड़े राम हमारे और ऐसे एक टेंट में विवादास्पद स्थिति में जीवन जी रहे हैं। राजनीतिक बाध्यता ने लोगों के हाथ पैर जकड़ रखे थे। पर अब ओवैसी जैसे लोगों को चुप हो जाना चाहिए क्योंकि इकबाल अंसारी जैसे लोग जब साथ दे सकते हैं जिन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी तो पूरा देश क्यों नहीं।

भारत ही एक ऐसा देश है जो सर्वधर्म को मान्यता देता है। चीन और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में क्या हमारे मुस्लिम भाईयों को इतनी सुविधा मिलती है। इतना सम्मान मिलने पर भी अगर आपकी मानसिकता नहीं सुधरे तो राम ही भला करें सबका।


हम सभी ने अपने घरों में दीपावली मनाई क्योंकि दिल में खुशी का एहसास था। आज हमारा बालक अपने शानदार झूले में झूलेगा उसकी किलकारियों से पूरा देश ही नहीं पूरा विश्व गूंजेगा। इसी शुभकामना के साथ कि कोरोड़ों हिन्दुओं की आस्था अब जल्द से जल्द मूर्त रुप ले और बनकर तैयार हो जिससे रामलला को हम सब कोरोना से मुक्त होकर उनकी प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहुर्त में उपस्थित हों जिससे हम सबकी आंखें धन्य हो जायें।

जिसप्रकार बालक अपनी मधुर मुस्कान से सबको आकर्षित कर लेता है। उसी तरह 1989 में चुनाव के चलते ही सही राजीव गांधी ने राम भरोसे अपनी नाव पार करने की सोची थी। जिससे हिन्दू जनमत उनके पक्ष में टूट कर पड़ता। शिलान्यास उस समय भी हुआ परन्तु कुछ खामियों के कारण बाधित रह गया और रामलला टेंट में ही रह गए। कानूनी विवाद और केंद्र में चलने वाली सरकार दोनों ने ही रामलला के मुद्दे को मात्र एक मुद्दे के तौर पर भुनाया। भाजपा ने भी जनमत पाया राम भरोसे परन्तु अन्ततोगत्वा आज हो ही गया। 

"होइहैं वही जो राम रति राखा

को करि तर्क बढ़ावै साखा"

तात्पर्य है कि मोदी जी के हाथों होना विदित था जो चरितार्थ हो गया।

लालकृष्ण आडवानी जो इस कार्य में अग्रदूत रहे भले आज कोरोना के कारण वो उपस्थित नहीं हो पाए परन्तु उनकी रामलला के प्रति उनके कार्यों को नींव की ईंट की भांति मजबूती से लोग याद अवश्य करेंगें। चाहत तो अटलबिहारी जी की भी थी परन्तु उनके काल में दलों की मंडली इतनी जुझारु थी कि शासन कर पाना ही मुश्किल था। मोदी जी प्रारम्भ से ही आडवानी जी और अटल जी के नेतृत्व में कार्यरत रहे जिससे उन्होंने पार्टी की आंतरिक और बाह्य संतुष्टियों और असंतुष्टियों को समझा परखा और भविष्य में उन विवादों पर कैसे विजय पानी है इसकी रणनीति बनाई जो आज सफल हुई। कई गणमान्य जैसे अशोक सिंघल अब इस दिन को देखने के लिए आज उपस्थित नहीं रह पाए लेकिन भाजपा ने उनके परिवार के सदस्यों को वही स्थान देकर उनकी आत्मा को शांति पहुंचायी और यह बतलाया कि पार्टी में किसतरह सबकी शहादत को याद रखा जाता है। वहीं मोहन भागवत समेत उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी भी उपस्थित होकर एक स्वर्णिम इतिहास रच डाला।


आज ही के दिन 05 अगस्त 2019 को तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलवाई और कश्मीर से धारा 370 हटाई। जिससे करोंड़ों हिन्दू दिलों और कश्मीरी पंड़ितों को राहत मिली। भले ही आज वो विश्व में कहीं भी अपना गुजर बसर कर रहे हों।

हिन्दू इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम काल के अभ्युदय के समान है। 1992 में लाखों हिन्दुओं का बलिदान आज सफल हुआ। कोलकाता के कई परिवारों के नवयुवकों ने उस समय अपनी शहादत दी थी। उन माताओं की आंखों के आंसू सूखे भले न हों पर आज संतोष और राहत की सांस जरुर मिली होगी। अंत भला तो सब भला।

 

 

 

 


Saturday, 13 June 2020


21 जून को लगेगा सूर्य ग्रहण

मधुसूदन मिश्र, ज्योतिषाचार्य पंडित ज्योतिर्माली”  

संवत् 2077, शाके 1942, आषाढ़ कृष्णपक्ष अमावस्या, रविवार को मृगशिरा नक्षत्र पर मिथुन राशि में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्य होगा। भारत के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों जैसे देहरादून, उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व चमोली, जोशीमठ, नैनिताल, उत्तर काशी जैसे इलाकों में ग्रहण का दृश्य कंकणाकीर्ति के रुप में दिखाई देगा। इसके अलावा चीन, पाकिस्तान, सेंट्रल अफ्रीका, दक्षिण पूर्व यूरोप और इंडोनेशिया में दिखाई देगा। भारतीय मानक के अनुसार ग्रहण का प्रारम्भ सुबह 9 बजकर 16 मिनट पर होगा। मध्य 12 बजकर 10 मिनट पर होगा और मोक्ष 3 बजकर 4 मिनट पर होगा। कोलकाता का समय सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर प्रारम्भ होगा। मध्य 12 बजकर 36 मिनट पर और मोक्ष दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर होगा। ऐसी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक लगने के पूर्व ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। भोजन एवं शयन आदि क्रियाएं वर्जित होती हैं। कुछ भी खाना पीना वर्जित होता है। ग्रहणकाल के दौरान अधिकतर लोग अपना समय आध्यात्म, योग, जप –तप जैसी क्रियाओं में व्यतीत करते हैं। कहा जाता है कि इस समय की गई साधना जप तप जैसी चीजें सिद्ध हो जाती हैं। इस समय आध्यात्म में व्यतीत किया गया समय शुभफलदायी होता है। ऐसे समय में गर्भवती महिलाओं को चाकू जैसी नुकीली चीजों को छूने से परहेज करना चाहिए अन्यथा इसका असर नवजात पर पड़ता है। ग्रहणकाल में गर्भवती महिलाओं को शयन नहीं करना चाहिए। किसी धार्मिक पुस्तक का अध्ययन अथवा मंत्र जाप करना शुभ होता है। सूर्य ग्रहण समाप्त होने के उपरांत गंगा जैसी पवित्र नदियों में लोग डूबकी लगाकर पवित्र होने की परंपरा है। सूतक काल 20 जून की रात भारत में 09 बजकर 16 मिनट पर लगेगा और कोलकाता में  10 बजकर 45 मिनट पर लगेगा। साल 1995 में 24 अक्टूबर के दिन ऐसा ही सूर्य ग्रहण लगा था। जिसमें रिंग नुमा आकृति उभर कर आई थी। जिसे पैसिफिक रिंग आफ फायर की संज्ञा दी गई थी। दिन के समय अंधकार छा गया था। देश विदेश के वैज्ञानिक इस दृश्य को देखने के लिए महीनों पहले से भारत में अपना डेरा जमा लिए थे। 21 जून 2020 के दिन होने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव विश्व पर आंशिक प्रभाव पड़ेगा। कोरोना से विश्व को इस ग्रहण के उपरांत भी पूर्णतया मुक्ति मिलनी अभी संभव नहीं है। 17 अप्रैल 2020 को हमने अपने लेख – कोरोना का आतंक कब तक- में यह स्पष्ट कर दिया था कि कोरोना महामारी विश्व पर यूंही छायी रहेगी। अगले वर्ष होली के बाद स्थिति कुछ सामान्य होगी।
21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण ज्योतिष की दृष्टि से मेष, सिंह, कन्या और तुला राशि के लिए यह ग्रहण शुभफलदायी रहेगा किन्तु शेष सभी राशिवाले लोगों के लिए कुछ हद तक कष्टकारक रहेगा। इसके अतिरिक्त वृष, कर्क और वृश्चिक राशि वालों के लिए यह सूर्यग्रहण अनिष्टकारी फल देगा।
वृष राशि वाले जातकों को धन के लेन –देन जैसे मामलों में सतर्क रहने की आवश्यकता होगी। कर्ज लेने से यथासंभव बचना उचित रहेगा। प्रापर्टी से जुड़े मामले में असावधानी बरतने से संकटपूर्ण स्थिति हो सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखना ही बुद्धिमानी होगी।
कर्क राशि वाले जातकों को अधिक जल वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए। वाद विवाद से बचना चाहिए। यथासंभव दान पुण्य करना चाहिए।
वृश्चिक और मकर राशि वाले जातकों को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा।
सूर्यग्रहण समाप्त होने के उपरांत लोगों को स्नान आदि करने के बाद दान पुण्य का विधान है।


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Sunday, 17 May 2020

बृषसंक्रान्ति का फल
मधुसूदन मिश्र,"पण्डित ज्योतिर्माली"

14 मई 2020 को सूर्य मेष से बृष राशि मे पधारे हैं साथ मे बुध शुक्र छटे स्थान में होने से राज्य सरकारें  असमंजस की स्थिति में रहेगी  जनता की आर्थिक दशाएं कमजोर होंगी क्योकि  द्वितीय भाव मे शनि  गुरु  का होना आर्थिक कमजोरी की बृद्धि कारक होगा कल कारखानों में काम काज ठप्प रहने से देश भर में एक नया हंगामा का श्री गणेश  सम्भव होगा मजदूर और उनकी रोजी रोटी की समस्याएं जटिल होंगी व्यपारी या नौकरी पेशे वाले लोगो की मुश्किलें बढ़ेगी उधर मजदूरों की दशा सांप छछुन्दर जैसी रहेगी । एक तो जहां से नौकरी छोड़ कर वापस अपने घरों में लौट चुके होंगे वहां फिर से जाने में दिक्कतें रहेंगी वापस दूसरे शहरों में जाना शायद असम्भव होगा ऐसी दशा में मोदी सरकार व  राज्य सरकारो के सामने बहुत बड़ी समस्या उतपन्न हो जाएगी ममता दीदी की मनोदशा भी किसी हद तक बिगड़ सकती है । एक तरफ कोरोना दूसरी तरफ मजदूरों को लेकर चिंता सताएगी। राज्य में महामारी कोरोना का असर और दो जाती कीआपसी लड़ाई लेकर भारी टक्कर को संभालने में स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। राज्यपाल औऱ ममता दीदी के बीच भी तनातनी की स्थिति बन सकती है।

https://jyotirmalee.blogspot.com/2020/04/blog-post.html?m=1 ये भी पढ़े।

आज "कोरोना" पर प्रधान मंत्री मोदी जी और बंगाल की "सी एम ममता बनर्जी "ने मांना है कि कोरोना जो चीन से दुनिया भर को तोहफा में  मिला है अब वह
इतना शीघ्र भारत से भी नही जानेवाला है मुख्यमंत्री ममता ने कह दिया कि 3 महीना लगेगा यानी अगस्त तक का अनुमान मुख्यमंत्री भी लगा रही है  जबकि आपके अखबार में ही हमने कोरोना संकट से मुक्ति की तारीख घोषित की थी। मार्च अप्रैल में ही कहा था कि यह "कोरोना "बंगाल का प्रसिद्घ पर्व  विश्व कर्मा पूजा एवंग  दुर्गा पूजा पर भी कोरोना का बुरा असर कायम रहेगा लोग एक दूसरे से मिलने में झिझकेंगे घबराएंगे घरों से निकलना  व पूजा का आनन्द ले पाना बड़ा मुश्किल रहेगा। दुकान बाजार खुलने पर भी खरीदार कम होंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी जी  देश मे लॉक डाउन धीरे धीरे छूट देने की योजना बनाते रहेंगे। हां, जनता की आर्थिक स्थिति को नजर में रखते हुए 4 थे चरण में कुछ आवश्यक छूट देते हुए प्रतिबन्ध के साथ नौकरी और ब्यवसाय करने की दशा में दुकान पाट खोलने की तरफ ध्यान दे सकते हैं।

एक बात ध्यान में रखना होगा सरकारी नियमो का पालन करते हुए खुद का विवेक जरूरी होगा अन्यथा डॉक्टर मरीज को अस्पताल से छुट्टी तो दे देता है रोगी घर जाकर पथ्य पर ध्यान न देगा तो रोगी का रोग फिर से उभड़ जाता है  फिर अस्पताल में जाना पड़ता है।इसलिये-- "बाजार से कोरोना उड़ गया  " यह सोच भारी पड़ सकता है मनमानी से  खुद का जीवन खतरे में पड़ सकता है  इसलिए कहते हैं "(सावधानी हटी दुर्घटना घटी)" सर्वत्र की छूट से कोरोना सभी पर हावी  न हो ध्यान सबको रखना ही बुद्धिमानी होंगी।

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Saturday, 16 May 2020


नीच हो जाते हैं जब देवगुरु वृहस्पति

मधुसूदन मिश्र, पंडित ज्योतिर्माली



सौरमंडल में निरंतर गतिशील नौ ग्रह अपना प्रभाव धरती के जड़ चेतन सबपर अपना अनुकूल अथवा प्रतिकूल प्रभाव डालते रहते हैं। जीवन की गतिविधियां किसप्रकार ग्रहों के अदृश्य मार्गदर्शन पर निहित है। यह वर्षों से देखा जा चुका है और अनंत काल तक सृष्टि के हर युग में देखा जाता है। प्रत्येक ग्रह का समय समय शुभ अथवा अशुभ फलदायक के रुप में प्रगट होते हैं। परन्तु कुछ ग्रह क्रूर एवं पापी होते हैं जैसे शनि ही वो ग्रह है जो व्यक्ति से अथक परिश्रम करवाता है। जो कभी की दरिद्रता की झांकी भी दिखा जाता है। वहीं देवगुरु वृहस्पति नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि वृहस्पति को देवताओं के गुरु होने का सम्मान प्राप्त है। देवता भी जिनसे परामर्श लेते हैं, जिनका आदर करते हैं। जिनमें इतनी गुणवत्ता है कि देवताओं को परामर्श देते हैं उचित अनुचित का ज्ञान कराते हैं। पंच तत्व इनके गुणों से प्रभावित होते रहते हैं। इस धरा पर हमरा जड़ अथवा चेतन जिस अवस्था में भी ईश्वर ने हमारा कर्म निर्धारित किया होता है हम उसका जाने अंजाने में पालन करते हैं। देवगुरु के प्रतिबिंब स्वरुप हम धरती पर ब्राह्मण जाति को देखते हैं। यह ब्राह्मण जाति सभी वर्गों को ज्ञान, अज्ञान, उचित अनुचित से परिचित करवाती है। पर क्या होता है जब ज्ञानी अज्ञानी बन जाता है। क्या होता है जब गुरु की बुद्धि शून्य हो जाय अथवा अज्ञानी जनों की संगति का कुप्रभाव उस पर ही पड़ने लगे। ऐसा ही ग्रहों के साथ भी होता रहता है। ऐसा ही कुछ है जब मकर राशि पर देवगुरु का आगमन हुआ। विश्व कांप गया। देवगुरु का आगमन मकर राशि पर हुआ साथ ही वहां स्वयं विराजमान थे शनि देवता। आम मान्यता है कि शनि एक क्रूर ग्रह है और देवगुरु वृहस्पति एक सौम्य ग्रह। जब सौम्य ग्रह किसी क्रूर ग्रह के निवास में पदार्पण करेगा तो उसकी मानसिक अवस्था कैसी हो सकती है, यह विचारणीय विषय है। देवगुरु जिनके ज्ञान के समक्ष कोई टिक नहीं सकता उसे पापी ग्रह या किसी का कैसा भय परन्तु क्या दुर्योधन के आगे भीष्म पितामह की चली, जिन्ना के आगे गांधी जी की चल सकी। इतने ज्ञानवान पुरुष, परम प्रतापी लेकिन विवश और फलस्वरुप देश का विभाजन देखना पड़ा।



ठीक इसी प्रकार, देवगुरु के मकर राशि में पदार्पण करने और शनि के विराजमान होने से कोरोना का आतंक फैला और दंड भुगत रहा है निम्न और मध्यमवर्ग। कल कारखानों में कार्यरत कर्मचारी, विभिन्न छोटे पदों पर कार्यरत कर्मचारी आज या तो अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे हैं और निम्न वर्ग के कर्मचारी सड़कों पर मारे मारे भटक रहे हैं। परेशानियों से घिरे, स्वजनों से दूर, कलंकित जीवन जीने का आज मजबूर हैं। संकट के इस काल में शनि ग्रह का प्रकोप उन निम्न वर्ग के कर्मचारियों पर विशेष रुप से पड़ा है अथवा समय समय पर पड़ता भी रहता है जिससे निम्न वर्ग के जीवन में बहुत कम सुधार की संयोग बनता है। कृपया पाठक अनयत्र ना लें क्योंकि देश के भाग्य से मनुष्य का भाग्य अवश्य जुड़ा होता है परन्तु उसका स्वयं का भाग्य भी कार्यरत रहता है। यह शनि ही है जो व्यक्ति को ऐसी विषम परिस्थिति दिखाता है और नीच गुरु का संयोग हो जाय तो बुद्धि अर्थहीन हो जाती है।यह संयोग अभी समाप्त नहीं हो रहा। पुन: नवम्बर में 8 तारीख को देवगुरु मकर राशि में प्रवेश करेंगें तब यह रोग कोरोना फिर से एक दैत्य का रुप लेगा और अति सामान्य परिस्थितियां पुन असमान्य परिस्थिति में परिवर्तित हो जायेंगी। इस संयोग का प्रभाव देश एवं विदेश दोनों पर प्रलंयकारी प्रभाव दिखाएगा। परिस्थितियां प्रयत्न से परे होती नजर आयेगी।


                                                     
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मधुसूदन मिश्र, पंडित ज्योतिर्माली

"विश्व मे कोरोना का आतंक और भारत के असहाय मजदूर"
मधुसूदन मिश्र, पंडित ज्योतिर्माली










"कोरोना " महामारी का उत्पात हम विश्व के प्रायः हर देश मे देख रहे हैं यह मानव के अहंकार और उसकी गलत नीतियों के आविष्कार का परिणाम है जो एक देश से दूसरे देश और विदेश तक धुआं की तरह फैलता जा रहा है हम चन्द्र लोक में झांक सकने की ताकत रखते हैं परंतु चाइना देश की छुआछूत की वीमारी से रक्षा पाने की दुनिया के लोग औषधि खोज रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री ने अपनी सूझ बूझ से विदेशियों की अपेक्षा भारत मे लाक डाउन लगा कर एक तरह से रोक थाम की युक्ति को सही निर्णय कहा जायेगा परन्तु  देश मे  कामगार मजदूरों की दशा पर भी विचार करना चाहिए था अब हम ग्रहों की फौज पर विचार करें तो सच तो यह है कि मनुष्य ग्रहो पर आश्रित रहता है यह हम सभी ज्योतिषी गण जानते हैं पर आम नागरिक इससे अछूता है हमारे गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरितमानस में कह गए हैं कि "सब को नचावत राम गोसाईं" यानी ग्रहो के बस में दुनिया है जब 26 दिसम्बर 2019 को सूर्य ग्रहण लगा था उस समय आकाशीय पिंड में 6 ग्रहो का एक साथ आगमन विचित्र ढंग से हुआ था जिसके आधार पर ऊँच नीच अमीर गरीब सबके ऊपर प्राकृतिक आपदाओं का संकेत था जनवरी में किरोना महामारी की सुगबुगाहट होने लगी थी। बाद में जब शनि 17 फरवरी 2020 को मकर राशि प्रवेश किया तबसे कोरोना का असर दिखने लगा मार्च 19 --2020  को जैसे ही गुरु अतिचार होकर मकर राशि मे आये तब से कोरोना का असर बृहद रूप से फैलने लग़ा फ़िर वही हुआ अमीर गरीब सब के सब अपने अपने घरों में 20 मार्च 2020 से "जनता कर्फ़्यू" लगा कर कैद हो गए








 विचित्र संयोग नीचस्थ गुरु के आने से बेचारे गरीब मजदूर मजबूर होकर सरकारी आदेश के आगे असहाय हो उठे फिर अफवाहों के दौर के आगे अपने घर परिवार की यादे सताने लगी राज्य सरकारें मदद करने का विज्ञापन खूब कर डालीं लेकिन उन असहाय मजबूर मजदूरों की कहानी सरकारी सहायता के विपरीत होते देख मजदूरों को हजार हजार मिलों का सफर पैदल करना पड़ रहा है महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग,नवजात शिशु और नवयुवक भी सबक़े सब भारत के विभिन्न गांवों में दिन रात चल कर सफर तय करना पड़ रहा है इसका कारण वही शनि गुरु ग्रह का संयोग ही है।



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Tuesday, 28 April 2020

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HOW LONG WORLD WILL SUFFER WITH

COVID 19 ?

Madhusudan Mishra- “Pandit Jyotirmalee”
(Astrologer)


How long Unprecedented COVID 19 will last? How long will have to suffer? Who will answer these questions?
Mind has stuck, nerves goes weaken, it’s trembling but why all this had happened? Let me explain you.

The COVID 19 is no exception. Corona pandemic was not one day match. In July 2019, on 17th day lunar eclipse took place. It had been seen in China, few parts of Australia, India and South America. On this day three planets gathered at second house and three at eighth house. These groups of planets have started showing their worst effect. This period had started shaking the world.  After this on 26th December 2019 Solar eclipse took place. In the first house six planets (Sun, Moon, Mercury, Jupiter, Saturn and ketu) gathered and this time frame ruined the world from one to another i.e. from China to America. According to astrological point of view-First, seventh, eighth and tenth house lord gathered at one place and this is the reason why the world is aghast. Rahu, is a symbol of uncertainty and sat at seventh house, created a destroying situation for masses. This combination created a horrific situation in front of the world.

Whenever Saturn and Jupiter come together unwanted scenario appears. On 19th march 2020 they met at same house since then PM Modi asked for “Janta Curfew”nationwide. After this day it had been seen corona’s panic situation was not under control. Not to forget about ketu and Jupiter combination. These two generates outbreak most of the time. Saturn stays at one house for 2.5 years, Combination of Saturn and Jupiter this year created an unwanted history to the world.  As I said Saturn will stay for long period that means corona pandemic will remain this year and will remain in 2021 too. 
In the month of June 2020 another solar eclipse will take place on International Yoga Day i.e. 21 June 2020. Solar eclipse would be visible at Northern belt of India like Chamoli, Joshimath, Dehradoon, Surat and Sirsa like places. Apart from India solar eclipse would be visible in China, Central Africa, South-East Europe, Pakistan and Indonesia.  Aftermath, it will be sensed that corona is no more and people will try to be relaxed but this situation won’t last long.  Once again government will be bound to re-generate lockdown like situation.

But On -8th November 2020 Jupiter will enter at Capricorn house. Panic situation will be sensed by the government and people, might be its irrefutable truth that Dragon has bounce back and world will breathe every minute in danger. September will not let you settle down at any cost. Bengal’s world famous Durga Puja will be under the shed of threat from corona demon. Deepawali will be treated like Durga puja.

Ø From July 18/19, 2020 small relaxation will appear once.
Ø September 21, 2020 will start giving ease from COVID 19
Ø World will fight with COVID 19 till March 2021.

World will fight with COVID 19 till March 2021. But INDIA will start coming out from it from 31st December 2020 people will try to move on from corona epidemic. Since mid of February to March 2021 infection will start decreasing its effect.

On the contrary, it had been seen whenever “zero” appears as a last digit in any era, apparently, pandemic like situations outcries. Let’s turn few pages of history panic situations of pandemic appeared. Few are here mentioned below-

§   1520- Africa and Europe suffered with chickenpox and plague.
§   1620- Pandemic occurred in Italy and North Africa. Seventeen   lac and 50 thousand people died owing to plague respectively.
§   1820- Pandemic occurred in Thailand, Indonesia and Philipines.
§   1920- Spanish flue appeared
§   2020- From Buhan(China)Corona epidemic