Planet speaks like we speak. Its a unique world of stars. Planet moves from one house to another but create impacts world wide and individually too.Here, we will discuss and talk about what stars are speaking, how it will impact to the nation building and more.
Thursday, 31 December 2020
जनवरी 2021- सरकारी घोषणा: पण्डित ज्योतिर्माली
Friday, 18 December 2020
बंगाल में ममता दीदी की राजनीति किधर?
Wednesday, 16 December 2020
2021 : बंगाल में दीदी का त्रिकोणीय संघर्ष
Friday, 4 December 2020
भाजपा का परचम लहराएगा: पण्डित ज्योतिर्माली
Saturday, 28 November 2020
कोरोना से विश्व को मुक्ति कब मिलेगी: पण्डित ज्योतिर्माली
Friday, 20 November 2020
बिहार का ही मुख्य पर्व छठ क्यों ?
मधुसूदन मिश्र, पं. ज्योतिर्माली
छठ
पर्व बिहार में मनाए जाने का मूल कारण
वैदिक
काल में मध्य भारत के कीकट प्रदेश में गयासुर नामक एक राक्षस था। वह भगवान विष्णु का भक्त था।
गयासुर
का शरीर भीमकाय था जब वह लेटता था तब उसका सिर उत्तरी भारत में पैर आंध्र प्रदेश और हृदय स्थल गया में होता था।
देवता
उससे भयभीत रहते थे। ब्रह्माजी भी असहाय हो गए। देवता गयासुर से मुक्ति चाहते थे
क्योंकि अकारण ही सबको परेशान करता था। देवताओ के आग्रह से विष्णु जी ने एक यज्ञ
करने की अनुमति मांगी। गयासुर को आभास हो गया था कि यज्ञ से उसका प्राणान्त होगा
फिर भी विष्णु के आग्रह को न टाल सका।
यज्ञोपरांत
गयासुर का अंत हो गया विष्णु ने उसको वरदान दिया था कि उसका नाम अमर हो जाएगा।
प्रत्येक हिन्दू अपने पित्तरों का पिंडदान करेंगे। आज तक परम्परा चल रही है।
देवगण
महायज्ञ हेतु पुरोहितों की खोज में थे तब नारदजी ने बताया कि ऐसे पुरोहित केवल
शाक्य द्वीप (अब ईरान) से लाये जा सकते हैं। ये पुरोहित सूर्य उपासक होते थे। वे
मग ब्राह्मण के नाम से बिख्यात थे (विष्णु पुराण में 2,4,6,69,व 71)।
मग का अर्थ --अग्नि पिंड अर्थात सूर्य। सूर्य विष्णु का ही स्वरूप हैं - सात ब्राह्मण
जो सूर्य उपासक थे उन्हें लाया गया। जिहोंने यज्ञ सम्पन्न किया। वे ही पुरोहित
ब्राह्मण शाकद्वीपी कहलाये।
वे सातो
ब्राह्मण गया के आसपास बस गए। एक खोज में 1937 व 1938 में गोविंदपुर में इनके वंशज रहते थे।
बिहार में मग -शाक्य द्विपी ब्राह्मणों ने अपने देव् सूर्य की उपासना करते थे उनके
साथ मगध क्षेत्र के निवासी भी सूर्य देव की उपासना करने लगे थे।
सूर्य
प्रत्यक्ष देव् हैं -सूर्य षष्ठीका वैज्ञानिक महत्व भी है। समय के अनुसार इस
उपासना को छठ महापर्व के रूप में लोगों ने प्रचलित कर दिया।
छठ
पर्व की उपासना की पद्धति खूब सरल थी लेकिन नियम कठोर थे इस पर्व में किसी पुरोहित
या ब्राहमण की आवश्यकता नहीं पड़ती थी घर
का कोई भी सदस्य इस उपासना को नियमपूर्वक कर सकता था।
आज
यह छठ पर्व भारत ही नही अपितु विदेशो में भी बड़ी श्रद्धा और पवित्रता के साथ मनाया
जाता है।
छठ
महा पर्व का उद्भव मगध (मगह )क्षेत्र से आरम्भ हुआ। खोज में ज्ञात हुआ की ये शाकद्वीपी ब्राह्मणों मगध में सात जगहों
पर सूर्य मन्दिरो की स्थापना की जैसे -देव, उलार, ओगांरी, गया और पंडारक आदि।
देव
का छठ सबसे पवित्र माना गया है।
शाक्यद्वीपी
ब्राह्मण अपने की अग्निहोत्री ब्राह्मण मानते हैं।
छठ
महापर्व में सूर्यदेव की उपासना के साथ साथ उषा और प्रत्युषा की उपासना का भी महत्व
है।
उषा
का अर्थ होता है प्रातः और प्रत्युषा का अर्थ संध्या। उषा और प्रत्युषा दोनों काल
का सूर्य से सम्बंध माना गया है। दोनों ही छठी मैया के नाम से प्रचलित है।
सूर्य
देव की संगिनी हैं यही कारण है कि छठ पूजन में उपासक लोग पहला अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य
को देते हैं फिर रात भर जागरण करते हुए भजन कीर्तन के सहारे रात बिताते है फिर दूसरे
दिन उगते सूर्य की आराधना करते हैं। सूर्य देव और परम माता श्री प्रत्युषा एवं
श्री उषा की सरल पद्धति से की गई पूजा व्रत उपासना का फल आपकी सभी मनोकामनाओं को
पूर्ण करें।
लोकआस्था
का यह महापर्व - छठ व्रत की हार्दिक शुभमंगलकामनाएं।
Monday, 31 August 2020
Astrologer Pandit Jyotirmalee |
क्या कहते हैं
सुशांत सिंह राजपूत के ग्रह
मधुसूदन मिश्र, “पंडित ज्योतिर्माली”
लग्न में शनि पर मंगल का विराजमान होना और उस पर राहु की दृष्टि का पड़ना अशुभ ही कहा जाएगा। इसी दिन बालीवुड अभिनेता सुशांत की नृशंस हत्या कर दी गई। जन्मकालीन मंगल भी शनि पर ही विराजमान होने से परिस्थितियां सदैव उनके जीवन में अनुकूल न होने के बावजूद भी उसे अनुकूल बनाने में तत्पर रहते थे। इसी कारण सुशांत के आलोचक भी पैदा हुए और उनपर घात भी लगाए रहते थे। अष्टम भाव में शनि और केतु का बैठना और दूसरे भाव में राहु का विराजमान होना परिवार से अलगाव को दर्शाता है। मंगल पर शनि का बैठना और धनभाव पर दृष्टि पड़ने से धन हानि की ओर संकेत करता है।
सुशांत सिंह राजपूत उच्चाकांक्षी इंसान थे। फिल्मी करियर से उन्हें लाभ भी मिला। मानसिक अस्थिरता और कम अवधि में कुछ बड़ा कर गुजरने की कड़ी में लोगों से मिलते बिछड़ते गए। 6 अप्रैल 2020 से वृहस्पति की दशा आई जो मार्केश भी है। वृहस्पति में वृहस्पति का अंतर काल में ही ग्रह अपनी चाल चल गए अथवा विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। इनसे लोग लाभान्वित होते रहे कभी धर्म कर्म की ओर प्रेरित कर तो कभी भोलेपन में आकर अथवा धर्मभीरु होकर भी। मित्र एवं छोटे भाई बहन बनकर जो भी इनके पास आए होंगें इनसे लाभान्वित हुए होंगे। शान शौकत और दिखावे के साथ जीना पसंद करते थे तो दूसरी ओर अंत:करण में सादगी थी जिसे कभी कोई देख नहीं सका होगा।उच्च का राहु जब
लग्न पर क्रूर दृष्टि डालता है तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है।
षडयंत्रकारी बाहर थे परन्तु हावी थे। जलने अथवा किसी विद्दुत यंत्र का उपयोग करके
प्रताड़ित करने की बात कही जा सकती है। इस साजिश में रिया चक्रवर्ती के पिता और
छोटा भाई शौविक भी बराबर का भागीदार दिखाई देते हैं। रिया चक्रवर्ती के मित्र और नेक्सस
उनके पिता से भी जुड़े हुए दिखाई देते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की रहस्मय मौत से
रिया चक्रवर्ती को ड्रग्स माफिया जैसे गिरोहों के द्वारा लाभ मिलने की बात कही जा
सकती है। षष्ठेश द्वीतीय भाव में बैठकर गले और धन पर प्रहार की ओर इंगित करता है।
घटनाक्रम के दिन के ग्रहों पर गहन अध्ययन से पता चलता है कि 6 आदमी और एक महिला की
उपस्थिति में इस घटना क्रम को अंजाम दिया गया होगा। काफी अथवा चाय जैसे तरल पदार्थ
में जहर भी देने की बात संभव है। रिया के संपर्क वाले लोग अंधेरे में हैं। दुनिया
के सामने अब तक नहीं आए हैं। रिया चक्रवर्ती के रोजमर्रा के जान पहचान वाले लोग ही
सुशांत के शत्रु नजर आते हैं। 13- 14 जून 2020 की रात को 10 से 2 बजे के बीच घटना को अंजाम देने की बात
ग्रह योग इंगित करते हैं।
डाक्टर चक्रवर्ती ने भी अपने अनुभव से अपनी बेटी के सपनों को संजोने की भरपूर कोशिश की होगी। सुशांत को हाथ से निकलता देख गिरोह के साथ हत्या की साजिश में सहयोग दिया होगा, जिसमें घर के सभी नौकरों ने बखूबी साथ निभाया।
कह सकते हैं कि लोगों ने जिस थाली में खाया उसी में छेद करने से हिचके भी नहीं।
अगर सरकार की गहन जांच में कोई अडंगा नहीं डाले तो जांच ऐजेंसियां तह तक जाने में सक्षम होंगीं। असली गुनगहार जनता के सामने आ सकते हैं।
www.panditjyotirmalee.com
Wednesday, 5 August 2020
रामलला प्रसन्न
हैं !
मधूसुदन मिश्र, “पंडितज्योतिर्माली”
आज मन अति प्रसन्न है। सिर्फ मेरा ही क्यों, विश्व में बसे करोड़ों हिन्दुओं का दिल गदगद हो गया है। आज अयोध्या में इतिहास रच दिया गया है। भारत का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। रामलला के वनवास के दिन पूरे हो गए और अब वो अपने महल में शान से विराजेंगें। प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन कर शिलान्यास कर रामलला के भवन की नींव रख ही दी। राजनीति तो बहुत हुई पर “सत्यमेव जयते”। कहते हैं ना भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। जिस संचलानकर्ता के अरबों भक्त हैं प्रत्यक्ष रुप से परोक्ष रुप से तो प्रत्येक जीव में बसे हैं राम और जीवन आधार हैं राम। जगत संचालक को भी धरती पर अपने लिए लड़ाई लड़नी पड़ी अपरोक्ष रुप से। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जैसा हम सब जानते हैं कि रामलला बालरुप में विराजमान हैं। बालक, जिसे जिस रुप में रखिए वो मुस्कुराता ही रहता है परन्तु उसका एक दुख माता पिता को क्या पूरे घर को झकझोर कर रख देता है। बालक कुछ कहता नहीं पर उसकी हंसी और क्रंदन उसके भावों को स्पष्ट करता रहता है। उसी प्रकार हमारे रामलला ने स्वयं कुछ नहीं बोला परन्तु उनके अनुयायी, उनके भक्त, उनके में आस्था रखने वाले लोगों को कष्ट हुआ और वो अदालत का दरवाजा खटखटाने लगे। स्वयं से ही कोई राम का परिवार बना और रामलला की ओर से लड़ा। तो कुछ अपने होकर भी बाह्य मजबूरियों के कारण रामलला के विपरीत भी गए। बालक किसी के गुण दोष मन में नहीं रखता। हमारे रामलला भी सबको समान दृष्टि से देखते हैं। सबका उद्धार ही करते हैं। जब भी मैं जाता था तो हर हिन्दू की तरह मन रो पड़ता था कि इतने बड़े राम हमारे और ऐसे एक टेंट में विवादास्पद स्थिति में जीवन जी रहे हैं। राजनीतिक बाध्यता ने लोगों के हाथ पैर जकड़ रखे थे। पर अब ओवैसी जैसे लोगों को चुप हो जाना चाहिए क्योंकि इकबाल अंसारी जैसे लोग जब साथ दे सकते हैं जिन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी तो पूरा देश क्यों नहीं।
भारत ही एक ऐसा देश
है जो सर्वधर्म को मान्यता देता है। चीन और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में क्या हमारे
मुस्लिम भाईयों को इतनी सुविधा मिलती है। इतना सम्मान मिलने पर भी अगर आपकी
मानसिकता नहीं सुधरे तो राम ही भला करें सबका।
हम सभी ने अपने घरों
में दीपावली मनाई क्योंकि दिल में खुशी का एहसास था। आज हमारा बालक अपने शानदार
झूले में झूलेगा उसकी किलकारियों से पूरा देश ही नहीं पूरा विश्व गूंजेगा। इसी
शुभकामना के साथ कि कोरोड़ों हिन्दुओं की आस्था अब जल्द से जल्द मूर्त रुप ले और
बनकर तैयार हो जिससे रामलला को हम सब कोरोना से मुक्त होकर उनकी प्राण प्रतिष्ठा के
शुभ मुहुर्त में उपस्थित हों जिससे हम सबकी आंखें धन्य हो जायें।
जिसप्रकार बालक अपनी मधुर मुस्कान से सबको आकर्षित कर लेता है। उसी तरह 1989 में चुनाव के चलते ही सही राजीव गांधी ने राम भरोसे अपनी नाव पार करने की सोची थी। जिससे हिन्दू जनमत उनके पक्ष में टूट कर पड़ता। शिलान्यास उस समय भी हुआ परन्तु कुछ खामियों के कारण बाधित रह गया और रामलला टेंट में ही रह गए। कानूनी विवाद और केंद्र में चलने वाली सरकार दोनों ने ही रामलला के मुद्दे को मात्र एक मुद्दे के तौर पर भुनाया। भाजपा ने भी जनमत पाया राम भरोसे परन्तु अन्ततोगत्वा आज हो ही गया।
"होइहैं वही जो राम रति राखा
को करि तर्क बढ़ावै
साखा"
तात्पर्य है कि मोदी जी के हाथों होना विदित था जो चरितार्थ हो गया।
लालकृष्ण आडवानी जो इस कार्य में अग्रदूत रहे भले आज कोरोना के कारण वो उपस्थित नहीं हो पाए परन्तु उनकी रामलला के प्रति उनके कार्यों को नींव की ईंट की भांति मजबूती से लोग याद अवश्य करेंगें। चाहत तो अटलबिहारी जी की भी थी परन्तु उनके काल में दलों की मंडली इतनी जुझारु थी कि शासन कर पाना ही मुश्किल था। मोदी जी प्रारम्भ से ही आडवानी जी और अटल जी के नेतृत्व में कार्यरत रहे जिससे उन्होंने पार्टी की आंतरिक और बाह्य संतुष्टियों और असंतुष्टियों को समझा परखा और भविष्य में उन विवादों पर कैसे विजय पानी है इसकी रणनीति बनाई जो आज सफल हुई। कई गणमान्य जैसे अशोक सिंघल अब इस दिन को देखने के लिए आज उपस्थित नहीं रह पाए लेकिन भाजपा ने उनके परिवार के सदस्यों को वही स्थान देकर उनकी आत्मा को शांति पहुंचायी और यह बतलाया कि पार्टी में किसतरह सबकी शहादत को याद रखा जाता है। वहीं मोहन भागवत समेत उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी भी उपस्थित होकर एक स्वर्णिम इतिहास रच डाला।
आज ही के दिन 05
अगस्त 2019 को तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलवाई और कश्मीर से धारा
370 हटाई। जिससे करोंड़ों हिन्दू दिलों और कश्मीरी पंड़ितों को राहत मिली। भले ही
आज वो विश्व में कहीं भी अपना गुजर बसर कर रहे हों।
हिन्दू इतिहास में
आज का दिन स्वर्णिम काल के अभ्युदय के समान है। 1992 में लाखों हिन्दुओं का बलिदान
आज सफल हुआ। कोलकाता के कई परिवारों के नवयुवकों ने उस समय अपनी शहादत दी थी। उन
माताओं की आंखों के आंसू सूखे भले न हों पर आज संतोष और राहत की सांस जरुर मिली
होगी। अंत भला तो सब भला।
Saturday, 13 June 2020
Sunday, 17 May 2020
मधुसूदन मिश्र,"पण्डित ज्योतिर्माली"
14 मई 2020 को सूर्य मेष से बृष राशि मे पधारे हैं साथ मे बुध शुक्र छटे स्थान में होने से राज्य सरकारें असमंजस की स्थिति में रहेगी जनता की आर्थिक दशाएं कमजोर होंगी क्योकि द्वितीय भाव मे शनि गुरु का होना आर्थिक कमजोरी की बृद्धि कारक होगा कल कारखानों में काम काज ठप्प रहने से देश भर में एक नया हंगामा का श्री गणेश सम्भव होगा मजदूर और उनकी रोजी रोटी की समस्याएं जटिल होंगी व्यपारी या नौकरी पेशे वाले लोगो की मुश्किलें बढ़ेगी उधर मजदूरों की दशा सांप छछुन्दर जैसी रहेगी । एक तो जहां से नौकरी छोड़ कर वापस अपने घरों में लौट चुके होंगे वहां फिर से जाने में दिक्कतें रहेंगी वापस दूसरे शहरों में जाना शायद असम्भव होगा ऐसी दशा में मोदी सरकार व राज्य सरकारो के सामने बहुत बड़ी समस्या उतपन्न हो जाएगी ममता दीदी की मनोदशा भी किसी हद तक बिगड़ सकती है । एक तरफ कोरोना दूसरी तरफ मजदूरों को लेकर चिंता सताएगी। राज्य में महामारी कोरोना का असर और दो जाती कीआपसी लड़ाई लेकर भारी टक्कर को संभालने में स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। राज्यपाल औऱ ममता दीदी के बीच भी तनातनी की स्थिति बन सकती है।
https://jyotirmalee.blogspot.com/2020/04/blog-post.html?m=1 ये भी पढ़े।
आज "कोरोना" पर प्रधान मंत्री मोदी जी और बंगाल की "सी एम ममता बनर्जी "ने मांना है कि कोरोना जो चीन से दुनिया भर को तोहफा में मिला है अब वह
इतना शीघ्र भारत से भी नही जानेवाला है मुख्यमंत्री ममता ने कह दिया कि 3 महीना लगेगा यानी अगस्त तक का अनुमान मुख्यमंत्री भी लगा रही है जबकि आपके अखबार में ही हमने कोरोना संकट से मुक्ति की तारीख घोषित की थी। मार्च अप्रैल में ही कहा था कि यह "कोरोना "बंगाल का प्रसिद्घ पर्व विश्व कर्मा पूजा एवंग दुर्गा पूजा पर भी कोरोना का बुरा असर कायम रहेगा लोग एक दूसरे से मिलने में झिझकेंगे घबराएंगे घरों से निकलना व पूजा का आनन्द ले पाना बड़ा मुश्किल रहेगा। दुकान बाजार खुलने पर भी खरीदार कम होंगे। प्रधानमंत्री श्री मोदी जी देश मे लॉक डाउन धीरे धीरे छूट देने की योजना बनाते रहेंगे। हां, जनता की आर्थिक स्थिति को नजर में रखते हुए 4 थे चरण में कुछ आवश्यक छूट देते हुए प्रतिबन्ध के साथ नौकरी और ब्यवसाय करने की दशा में दुकान पाट खोलने की तरफ ध्यान दे सकते हैं।
एक बात ध्यान में रखना होगा सरकारी नियमो का पालन करते हुए खुद का विवेक जरूरी होगा अन्यथा डॉक्टर मरीज को अस्पताल से छुट्टी तो दे देता है रोगी घर जाकर पथ्य पर ध्यान न देगा तो रोगी का रोग फिर से उभड़ जाता है फिर अस्पताल में जाना पड़ता है।इसलिये-- "बाजार से कोरोना उड़ गया " यह सोच भारी पड़ सकता है मनमानी से खुद का जीवन खतरे में पड़ सकता है इसलिए कहते हैं "(सावधानी हटी दुर्घटना घटी)" सर्वत्र की छूट से कोरोना सभी पर हावी न हो ध्यान सबको रखना ही बुद्धिमानी होंगी।
www.panditjyotirmalee.com
Saturday, 16 May 2020
सौरमंडल में निरंतर गतिशील नौ ग्रह अपना प्रभाव धरती के जड़ चेतन सबपर अपना अनुकूल अथवा प्रतिकूल प्रभाव डालते रहते हैं। जीवन की गतिविधियां किसप्रकार ग्रहों के अदृश्य मार्गदर्शन पर निहित है। यह वर्षों से देखा जा चुका है और अनंत काल तक सृष्टि के हर युग में देखा जाता है। प्रत्येक ग्रह का समय समय शुभ अथवा अशुभ फलदायक के रुप में प्रगट होते हैं। परन्तु कुछ ग्रह क्रूर एवं पापी होते हैं जैसे शनि ही वो ग्रह है जो व्यक्ति से अथक परिश्रम करवाता है। जो कभी की दरिद्रता की झांकी भी दिखा जाता है। वहीं देवगुरु वृहस्पति नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि वृहस्पति को देवताओं के गुरु होने का सम्मान प्राप्त है। देवता भी जिनसे परामर्श लेते हैं, जिनका आदर करते हैं। जिनमें इतनी गुणवत्ता है कि देवताओं को परामर्श देते हैं उचित अनुचित का ज्ञान कराते हैं। पंच तत्व इनके गुणों से प्रभावित होते रहते हैं। इस धरा पर हमरा जड़ अथवा चेतन जिस अवस्था में भी ईश्वर ने हमारा कर्म निर्धारित किया होता है हम उसका जाने अंजाने में पालन करते हैं। देवगुरु के प्रतिबिंब स्वरुप हम धरती पर ब्राह्मण जाति को देखते हैं। यह ब्राह्मण जाति सभी वर्गों को ज्ञान, अज्ञान, उचित अनुचित से परिचित करवाती है। पर क्या होता है जब ज्ञानी अज्ञानी बन जाता है। क्या होता है जब गुरु की बुद्धि शून्य हो जाय अथवा अज्ञानी जनों की संगति का कुप्रभाव उस पर ही पड़ने लगे। ऐसा ही ग्रहों के साथ भी होता रहता है। ऐसा ही कुछ है जब मकर राशि पर देवगुरु का आगमन हुआ। विश्व कांप गया। देवगुरु का आगमन मकर राशि पर हुआ साथ ही वहां स्वयं विराजमान थे शनि देवता। आम मान्यता है कि शनि एक क्रूर ग्रह है और देवगुरु वृहस्पति एक सौम्य ग्रह। जब सौम्य ग्रह किसी क्रूर ग्रह के निवास में पदार्पण करेगा तो उसकी मानसिक अवस्था कैसी हो सकती है, यह विचारणीय विषय है। देवगुरु जिनके ज्ञान के समक्ष कोई टिक नहीं सकता उसे पापी ग्रह या किसी का कैसा भय परन्तु क्या दुर्योधन के आगे भीष्म पितामह की चली, जिन्ना के आगे गांधी जी की चल सकी। इतने ज्ञानवान पुरुष, परम प्रतापी लेकिन विवश और फलस्वरुप देश का विभाजन देखना पड़ा।
मधुसूदन मिश्र, पंडित ज्योतिर्माली |
विचित्र संयोग नीचस्थ गुरु के आने से बेचारे गरीब मजदूर मजबूर होकर सरकारी आदेश के आगे असहाय हो उठे फिर अफवाहों के दौर के आगे अपने घर परिवार की यादे सताने लगी राज्य सरकारें मदद करने का विज्ञापन खूब कर डालीं लेकिन उन असहाय मजबूर मजदूरों की कहानी सरकारी सहायता के विपरीत होते देख मजदूरों को हजार हजार मिलों का सफर पैदल करना पड़ रहा है महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग,नवजात शिशु और नवयुवक भी सबक़े सब भारत के विभिन्न गांवों में दिन रात चल कर सफर तय करना पड़ रहा है इसका कारण वही शनि गुरु ग्रह का संयोग ही है।
www.panditjyotirmalee.com
https://www.facebook.com/MadhusudanMishraPanditJyotirmalee/
Tuesday, 28 April 2020
Ø
From July 18/19,
2020 small relaxation will appear once.
Ø
September
21, 2020 will start giving ease from COVID 19
Ø
World will
fight with COVID 19 till March 2021.
|
On the contrary, it had been seen whenever “zero”
appears as a last digit in any era, apparently, pandemic like situations
outcries. Let’s turn few pages of history panic situations of pandemic
appeared. Few are here mentioned below-
§ 1520- Africa
and Europe suffered with chickenpox and plague.
§ 1620-
Pandemic occurred in Italy and North Africa. Seventeen lac and 50 thousand people died owing to
plague respectively.
§ 1820- Pandemic
occurred in Thailand, Indonesia and Philipines.
§ 1920- Spanish
flue appeared
§ 2020- From
Buhan(China)Corona epidemic
|